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द्रोपदी के पांच पति थे या एक: क्या कहती है महाभारत? -राकेश कुमार आर्य द्रोपदी महाभारत की एक आदर्श पात्र है। लेकिन द्रोपदी जैसी विदुषी नारी के साथ हमने बहुत अन्याय किया है। सुनी सुनाई बातों के आधार पर हमने उस पर कई ऐसे लांछन लगाये हैं जिससे वह अत्यंत पथभ्रष्ट और धर्म भ्रष्ट नारी सिद्घ होती है। एक ओर धर्मराज युधिष्ठर जैसा परमज्ञानी उसका पति है, जिसके गुणगान करने में हमने कमी नही छोड़ी। लेकिन द्रोपदी पर अतार्किक आरोप लगाने में भी हम पीछे नही रहे। द्रोपदी पर एक आरोप है कि उसके पांच पति थे। हमने यह आरोप महाभारत की साक्षी के आधार पर नही बल्कि सुनी सुनाई कहानियों के आधार पर लगा दिया। बड़ा दु:ख होता है जब कोई पढ़ा लिखा व्यक्ति भी इस आरोप को अपने लेख में या भाषण में दोहराता है। ऐसे व्यक्ति की बुद्घि पर तरस आता है, और मैं सोचा करता हूं कि ये लोग अध्ययन के अभाव में ऐसा बोल रहे हैं, पर इन्हें यह नही पता कि ये भारतीय संस्कृति का कितना अहित कर रहे हैं। आईए महाभारत की साक्षियों पर विचार करें! जिससे हमारी शंका का समाधान हो सके कि द्रोपदी के पांच पति थे या एक, और यदि एक था तो फिर व

एक थी नीरजा

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एक थी नीरजा 5 सितम्बर 1986 को आधुनिक भारत की एक विरांगना जिसने इस्लामिक आतंकियों से लगभग 400 यात्रियों को जान बचाते हुए अपना जीवन बलिदान कर दिया। भारत के कितने नवयुवक और नवयुवतियां उसका नाम जानते है। कैटरिना कैफ, करीना कपूर, प्रियंका चैपड़ा, दीपिका पादुकोड़, विद्याबालन और अब तो सनी लियोन जैसा बनने की होड़ लगाने वाली युवती क्या नीरजा भनोत का नाम जानती है। नहीं सुना न ये नाम। मैं बताता हूँ इस महान विरांगना के बारे में। 7 सितम्बर 1964 को चंड़ीगढ़ के हरीश भनोत जी के यहाँ जब एक बच्ची का जन्म हुआ था तो किसी ने भी नहीं सोचा था कि भारत का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान इस बच्ची को मिलेगा। बचपन से ही इस बच्ची को वायुयान में बैठने और आकाश में उड़ने की प्रबल इच्छा थी। नीरजा ने अपनी वो इच्छा एयर लाइन्स पैन एम ज्वाइन करके पूरी की। 16 जनवरी 1986 को नीरजा को आकाश छूने वाली इच्छा को वास्तव में पंख लग गये थे। नीरजा पैन एम एयरलाईन में बतौर एयर होस्टेज का काम करने लगी। 5 सितम्बर 1986 की वो घड़ी आ गयी थी जहाँ नीरजा के जीवन की असली परीक्षा की बारी थी। पैन एम 73 विमान करांची, पाकिस्तान के

संस्कृत(sanskrat) को मृत भाषा कहने वाले अपनी माँ को गाली दे रहे हैं

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देवभाषा संस्कृत की गूंज कुछ साल बाद अंतरिक्ष में सुनाई देगी । इसके वैज्ञानिक पहलू जानकर अमेरिका नासा की भाषा बनाने की कसरत में जुटा हुआ है । इस प्रोजेक्ट पर भारतीय संस्कृत विद्वानों के इन्कार के बाद अमेरिका अपनी नई पीढ़ी को इस भाषा में पारंगत करने में जुट गया है। गत दिनों आगरा दौरे पर आए अरविंद फाउंडेशन [इंडियन कल्चर] पांडिचेरी के निदेशक संपदानंद मिश्रा ने 'जागरण' से बातचीत में यह रहस्योद्घाटन किया कि नासा के वैज्ञानिक रिक ब्रिग्स ने 1985 में भारत से संस्कृत के एक हजार प्रकांड विद्वानों को बुलाया था। उन्हें नासा में नौकरी का प्रस्ताव दिया था। उन्होंने बताया कि संस्कृत ऐसी प्राकृतिक भाषा है, जिसमें सूत्र के रूप में कंप्यूटर के जरिए कोई भी संदेश कम से कम शब्दों में भेजा जा सकता है। विदेशी उपयोग में अपनी भाषा की मदद देने से उन विद्वानों ने इन्कार कर दिया था। इसके बाद कई अन्य वैज्ञानिक पहलू समझते हुए अमेरिका ने वहां नर्सरी क्लास से ही बच्चों को संस्कृत की शिक्षा शुरू कर दी है। नासा के 'मिशन संस्कृत' की पुष्टि उसकी वेबसाइट भी करती है। उसमें स्पष्ट लिखा है कि 20 साल से नासा

अकबर से महान कौन?

हमारे पाठकों को अपने विद्यालय के दिनों में पढ़े इतिहास में अकबर का नाम और काम बखूबी याद होगा. रियासतों के रूप में टुकड़ों टुकड़ों में टूटे हुए भारत को एक बनाने की बात हो, या हिन्दू मुस्लिम झगडे मिटाने को दीन ए इलाही चलाने की बात, सब मजहब की दीवारें तोड़कर हिन्दू लड़कियों को अपने साथ शादी करने का सम्मान देने की बात हो, या हिन्दुओं के पवित्र स्थानों पर जाकर सजदा करने की, हिन्दुओं पर से जजिया कर हटाने की बात हो या फिर हिन्दुओं को अपने दरबार में जगह देने की, अकबर ही अकबर सब ओर दिखाई देता है. सच है कि हमारे इतिहासकार किसी को महान यूँ ही नहीं कह देते. इस महानता को पाने के लिए राम, कृष्ण, विक्रमादित्य, पृथ्वीराज, राणा प्रताप, शिवाजी और न जाने ऐसे कितने ही महापुरुषों के नाम तरसते रहे, पर इनके साथ “महान” शब्द न लग सका. हमें याद है कि इतिहास की किताबों में अकबर पर पूरे अध्याय के अन्दर दो पंक्तियाँ महाराणा प्रताप पर भी होती थीं. मसलन वो कब पैदा हुए, कब मरे, कैसे विद्रोह किया, और कैसे उनके ही राजपूत उनके खिलाफ थे. इतिहासकार महाराणा प्रताप को कभी महान न कह सके. ठीक ही तो है! अकबर और राणा का मुकाबला

26 feb 2012 ,भारतीय स्वतंत्रता के जनक वीर सावरकर की ६६ वीं पुण्यतिथि पर कोटि कोटि नमन

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