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अप्रैल, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जोहर, जय - हर शब्द का पर्यावाची है.

भारत देश में लगभग २५०० वर्षों से विदेशी आक्रमण होते आयें हैं।सिकंदर के आक्रमण से लेकर मुस्लिम आक्रमणकारी,तथा उसके बाद आए अंग्रेजो तक ने भारत में लूट पाट के साथ साथ जो अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाई वह थी भारतीय महिलाओं के अपहरण व उनका चरित्र हरण करने की। (इस बारे में मै आगे के लेखों में विसतार से लिखूंगा.)भारतीय वीरों के युद्ध में वीरगति प्राप्त होने के पश्चात् अपने सतीत्व को म्लेछों से सुरक्षित रखने के लिए उनकी पत्निया बड़े - बड़े हवन कुण्डों में अपने बच्चों को छाती से लगाकर जय हर के घोष करते हुए कूद जाया करती थी।बाद में जय हर ही जोहर हो गया। इस यज् में सर्वाधिक आहुति इस्लामिक आक्रमणों के समय दी गई। इस्लाम के जेहादिओं ने भारत में आक्रमणों के बाद वैदिक महिलाओं पर सर्वाधिकं अत्याचार किए।भारतीय नारी का जोहर व्रत संसार का सबसे वीरता पूर्ण कार्य था। ऐसी वीरता का उद्धरण समस्त विश्व के इतिहास में कही नही मिलता. भारतीय नारी म्लेछों के हाथ में न पड़कर उनके दानवी कुकर्मों से अपनी रक्षा करने के लिए जोहर व्रत करती थी .ऐसी महान वीरांगनाओं को मेरा शत शत नमन.

इतिहास बदलना होगा.

अंधियारे से घिरा हुआ अब यह आकाश बदलना होगा। पीड़ित मानव के मन का अब हर संत्रास बदलना होगा।। आज देश की सीमाओं के चंहु और तक्षक बैठे हैं । खंड-खंड करके खाने को इस भू के भक्षक बैठें हैं।। जिन कन्धों पर आज देश का भार सोंप निश्चिंत हुए हो। वे महलों में बनकर अपनी सत्ता के रक्षक बैठे हैं॥ इन्हे जगा दो या कहदो दिल्ली की गद्दी त्यागें। किसी शिवा को लाकर के अब यह इतिहास बदलना होगा॥ अंधियारे से ...............................................................१ । ........................................................................................ ........................................................................................... ........................................................................................ कण कण की हरियाली देखो धीरे धीरे पीत हो रही। जन जन के मन की उजयाली तम से है भयभीत हो रही ॥ राम - कृषण - गौतम -राणा की इस पावन धरती पर देखो। छल-असत्य और पाप के सन्दर्भों की जीत हो रही॥ इस धरती के उजियाले पर अंधकार छाने से पहले। जन-जन के मन में आ बैठा, हर संत्रास बदलना होगा॥ अंध

अर्जुन के देश में ये कैसा अकाल

जिस देश में अर्जुन व कर्ण जैसे लक्ष्यभेदक जन्म ले चुके हों, उस देश भारत को कुछ जूता फैंक लोग पूरे विश्व में बदनाम कर रहे है। बात इराक से शुरू होती है। महाभारत काल में आज का इराक भारतवर्ष का ही हिस्सा था। इस इराक के लोग भी अर्जुन के वंशज हुए।ये बात इराकी माने या न माने,हम तो मानते हैं। इराक में एक पत्रकार ने बुश पर जूता फैंक मारा, मगर बुश को वो जूता नही लगा। महाशय ने तुंरत दूसरा जूता फैंका,मगर अफ़सोस वो जूता भी बुश को नही लगा। अब जब बात इराक की थी,तब हमारे भारत के लोग भी कहाँ पीछे रहने वाले थे। भारत में भी जूता चला और ऐसा चला कि रूकने का नाम ही नही ले रहा। सबसे पहले दैनिक जागरण के एक पत्रकार ने ग्रह मंत्री पि० चिदम्बरम पर जूता फैंका,मगर अंक प्राप्त किए शून्य ,यानि लक्ष्य चूका।दूसरी बार लक्ष्य साधा गया कांगरेसी सांसद नवीन जिंदल पर । लक्ष्य के काफी नजदीक होते हुए भी निशाना ठीक नही बैठा। तीसरी बार जूता फैंका गया आडवानी जी पर। भाजपा के ही एक कार्यकर्ता ने उन पर जूता फैंका मगर आडवानी जी भी को निशाना नही लगा।अब नंबर आया असम के एक सांसद का,जिस पर एक व्यक्ति ने नही,दर्जनों व्यक्तियों ने एक साथ

सनातन धर्म का रक्षक महान सम्राट पुष्यमित्र शुंग

मोर्य वंश के महान सम्राट चन्द्रगुप्त के पोत्र महान अशोक (?) ने कलिंग युद्ध के पश्चात् बौद्ध धर्म अपना लिया। अशोक अगर राजपाठ छोड़कर बौद्ध भिक्षु बनकर धर्म प्रचार में लगता तब वह वास्तव में महान होता । परन्तु अशोक ने एक बौध सम्राट के रूप में लग भाग २० वर्ष तक शासन किया। अहिंसा का पथ अपनाते हुए उसने पूरे शासन तंत्र को बौद्ध धर्म के प्रचार व प्रसार में लगा दिया। अत्यधिक अहिंसा के प्रसार से भारत की वीर भूमि बौद्ध भिक्षुओ व बौद्ध मठों का गढ़ बन गई थी। उससे भी आगे जब मोर्य वंश का नौवा अन्तिम सम्राट व्रहद्रथ मगध की गद्दी पर बैठा ,तब उस समय तक आज का अफगानिस्तान, पंजाब व लगभग पूरा उत्तरी भारत बौद्ध बन चुका था । जब सिकंदर व सैल्युकस जैसे वीर भारत के वीरों से अपना मान मर्दन करा चुके थे, तब उसके लगभग ९० वर्ष पश्चात् जब भारत से बौद्ध धर्म की अहिंसात्मक निति के कारण वीर वृत्ति का लगभग ह्रास हो चुका था, ग्रीकों ने सिन्धु नदी को पार करने का साहस दिखा दिया। सम्राट व्रहद्रथ के शासनकाल में ग्रीक शासक मिनिंदर जिसको बौद्ध साहित्य में मिलिंद कहा गया है ,ने भारत वर्ष पर आक्रमण की योजना बनाई। मिनिंदर ने सबसे पह

मूर्ख हिंदू पूजते है खूनी व बलात्कारी को

पूर्वी उत्तर प्रदेश में एक शहर है,बहराइच । बहराइच में हिन्दू समाज का सबसे मुख्य पूजा स्थल है गाजी बाबा की मजार। मूर्ख हिंदू लाखों रूपये हर वर्ष इस पीर पर चढाते है।इतिहास ka जानकर हर व्यक्ति जनता है,कि महमूद गजनवी के उत्तरी भारत को १७ बार लूटने व बर्बाद करने के कुछ समय बाद उसका भांजा सलार गाजी भारत को दारूल इस्लाम बनाने के उद्देश्य से भारत पर चढ़ आया । वह पंजाब ,सिंध, आज के उत्तर प्रदेश को रोंद्ता हुआ बहराइच तक जा पंहुचा। रास्ते में उसने लाखों हिन्दुओं का कत्लेआम कराया,लाखों हिंदू औरतों के बलात्कार हुए, हजारों मन्दिर तोड़ डाले। राह में उसे एक भी ऐसाहिन्दू वीर नही मिला जो उसका मान मर्दन कर सके। इस्लाम की जेहाद की आंधी को रोक सके। परंतु बहराइच के राजा सुहेल देव पासी ने उसको थामने का बीडा उठाया । वे अपनी सेना के साथ सलार गाजी के हत्याकांड को रोकने के लिए जा पहुंचे । महाराजा व हिन्दू वीरों ने सलार गाजी व उसकी दानवी सेना को मूली गाजर की तरह काट डाला । सलार गाजी मारा गया। उसकी भागती सेना के एक एक हत्यारे को काट डाला गया। हिंदू ह्रदय राजा सुहेल देव पासी ने अपने धर्म का पालन करते हुए, सलार गाज

कुरान और गैर मुस्लमान

इस लेख को लिखने से मेरा किसी भी धर्म का विरोध करने का कोई उद्देश्य नही है। अपितु य ह लेख इस्लाम के प्रचार के लि ए है । कुरान मुसलमानों का मजहबी ग्रन्थ है.मुसलमानों के आलावा इसका ज्ञान गैर मुस्लिमों को भी होना आवश्यक है। ............................................................. मानव एकता और भाईचारे के विपरीत कुरान का मूल तत्व और लक्ष्य इस्लामी एकता व इस्लामी भाईचारा है. गैर मुसलमानों के साथ मित्रता रखना कुरान में मना है. कुरान मुसलमानों को दूसरे धर्मो के विरूद्ध शत्रुता रखने का निर्देश देती है । कुरान के अनुसार जब कभी जिहाद हो ,तब गैर मुस्लिमों को देखते ही मार डालना चाहिए। कुरान में मुसलमानों को केवल मुसलमानों से मित्रता करने का आदेश है। सुरा ३ की आयत ११८ में लिखा है कि, "अपने (मजहब) के लोगो के अतिरिक्त किन्ही भी लोगो से मित्रता मत करो। " लगभग यही बात सुरा ३ कि आयत २७ में भी कही गई है, "इमां वाले मुसलमानों को छोड़कर किसी भी काफिर से मित्रता न करे। " सन १९८४ में हिंदू महासभा के दो कार्यकर्ताओं ने कुरान की २४ आयातों का एक पत्रक छपवाया । उस पत्रक को छपवाने