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सन २०११ को अगर स्वामी(subrmanyam swami) वर्ष का नाम दिया जाय तो कोई अतिशोक्ति नहीं होगी.

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अंग्रेजों का ईसवी सन २०११ अब भूतकाल में चला गया है. २०११ पूरी दुनिया में काफी उथल पुथल मचाकर गया है. कई देशों में जन क्रांति के लिए विख्यात रहे इस साल में भारत भी किसी से पीछे नहीं रहा. जहाँ विश्व पटल पर एक नया देश दक्षिणी सूडान उभर कर आया वही लीबिया का तख्ता पलट हुआ और एक और तानाशाह तेल की अमेरिकन राजनीती का शिकार हुआ. २०११ भारत में भी काफी हलचल भरा साल रहा. महंगाई, भ्रष्टाचार व काले धन की वापसी के आंदोलनों ने केंद्र सरकार की रातों की नीदें हराम कर डाली. टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला ,मुंबई का आवास योजना घोटाला व राष्ट्रमंडल खेलों के घोटालों में केंद्र सरकार स्पष्ट फसती नजर आई. कोंग्रेस की इस भ्रष्ट सरकार के विरुद्ध भारत को दो नए नायक मिले.जहाँ पहले नायक बाबा रामदेव ने भारत की जनता को विदेशो में छुपाये काले धन के विरुद्ध खड़ा किया, वहीँ अन्ना हजारे ने जन लोकपाल बिल के लिए आन्दोलन खड़ा कर सरकार की खटिया खड़ी कर दी. मगर इन सबसे अलग एक महान आत्मा ऐसी भी रही जो भारत में हो रहे आंदोलनों की नीव का पत्थर बनी और एकला चलो के अभियान से कोंग्रेस सरकार के कई बड़े नेताओ,मंत्रियों को जेल पहुचाया.