हिंदू धर्म का पतन-राष्ट्र का पतन
आज राष्ट्र विषम परिस्थितियों से गुजर रहा है । स्थिति इतनी विनाशकारी है की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है। आतंकवाद ,भ्रष्टाचार , अंधविश्वास ,भाषावाद ,जातिवाद , क्षेत्रवाद, अलगाववाद , मतान्तरण , मतान्धता , गरीबी , भुखमरी , बेरोजगारी , अशिक्षा , परिवर्तित शिक्षा , असीमित मुस्लिम तुष्टिकरण आदि अनेकों समस्याओं में से कोई भी ऐसी समस्या नहीं है जो इस भारत वर्ष की भूमि पर न हो। वो राष्ट्र जिस में जन्म लेना ही भाग्यशाली माना जाता था आज उसी राष्ट्र के लोगो में अप्रवासी भारतीय बन ने की अंधी दौड़ मची है। जिस राष्ट्र में आने का और शिक्षा लेने का विदेशियों का सपना होता था आज उसी राष्ट्र के लोगो में विदेशो में पढने की होड़ लगी है। जिस राष्ट्र की भाषा और लिपि ज्ञान की पर्याय मानी जाती थी आज उसी राष्ट्र के लोग उसको लिखने बोलने में शर्म का अनुभव करते हैं, जिस राष्ट्र के लोग वेदानुसार ईश्वरोपासना, वैज्ञानिकता और यज्ञ आदि की बातें करते थे आज विभिन्न प्रकार के अंधविश्वासों,असंख्य मतों में पड़ कर मुर्ख,मतान्धता और अज्ञानता की बातें करते है, जिस राष्ट्र में कभी राम राज्य हुआ करता था आज वहीँ आतंकवाद और भ्रष्ट