सम्राट विक्रमादित्य का साम्राज्य अरब तक था.
शकों को भारत से खदेड़ने के बाद सम्राट विक्रमादित्य ने पुरे भारतवर्ष में ही नही , बल्कि लगभग पूरे विश्व को जीत कर हिंदू संस्कृति का प्रचार पूरे विश्व में किया। सम्राट के साम्राज्य में कभी सूर्य अस्त नही होता था। सम्राट विक्रमादित्य ने अरबों पर शासन किया था, इसका प्रमाण स्वं अरबी काव्य में है । "सैरुअल ओकुल" नमक एक अरबी काव्य , जिसके लेखक "जिरहम विन्तोई" नमक एक अरबी कवि है। उन्होंने लिखा है,------- "वे अत्यन्त भाग्यशाली लोग है, जो सम्राट विक्रमादित्य के शासन काल में जन्मे। अपनी प्रजा के कल्याण में रत वह एक कर्ताव्यनिष्ट , दयालु, एवं सचरित्र राजा था।" "किंतु उस समय खुदा को भूले हुए हम अरब इंद्रिय विषय -वासनाओं में डूबे हुए थे । हम लोगो में षड़यंत्र और अत्याचार प्रचलित था। हमारे देश को अज्ञान के अन्धकार ने ग्रसित कर रखा था। सारा देश ऐसे घोर अंधकार से आच्छादित था जैसा की अमावस्या की रात्रि को होता है। किंतु शिक्षा का वर्तमान उषाकाल एवं सुखद सूर्य प्रकाश उस सचरित्र सम्राट विक्रम की कृपालुता का परिणाम है। यद्यपि हम विदेशी ही थे,फ़िर भी वह हमारे प्रति उपेछा न...