बंटवारा

बहुत ही हो हल्ला मचना शुरू हो गया है ,जैसे की जसवंत सिंह ने जिन्ना को१९४७ के बटवारे का अपराधी न मानकर कोई बहुत ही बड़ा अपराध कर दिया हो। लेकिन हाँ ,सरदार पटेल को इस कीचड में धकेल कर जसवंत सिंह ने जरूर अपराध किया है। बटवारे का अपराधी अगर ढूँढने की कोशिश की जाय तो हमें उन कारणों को देखना पड़ेगा जो इस संसार में इस्लाम के साथ आए । जिन्ना ने अपने मुस्लिम लीग के सम्मलेन में दिए गए एक भाषण में कहा था कि जिस दिन भारत में पहले मुस्लमान ने कदम रक्खा था। पकिस्तान का निर्माण की नींव उसी दिन रक्खी गई थी।लेकिन बाद में जिन्ना से दो कदम आगे बढ़कर गाँधी जी के प्यारे शिष्य नेहरू ने अपने सपनो को पूरा करने के लिए भारत के बटवारे में जिन्ना का पूरा साथ दिया,और समर्थन मिला उन्हें भारतीय मुसलमानों का।बटवारे के जितने भी कारण रहे उनमे बड़ा कारण था भारत में ३०% मुसलमानों की आबादी। और उस से भी सबसे बड़ा कारण रहा उस आबादी को मिल रही उनकी धार्मिक पुस्तक कुरान की शिक्षा।
आप पूरे विश्व पर नजर डालिए,जहाँ भी मुसलमानों की आबादी लगभग १०% से कम होती है,तब ये वहां पर बड़ी शान्ति के साथ रहते है और लगातार अपनी आबादी बढ़ने पर जोर देते है। जहाँ इनकी आबादी १०%से २०%तक होती है उस देश में ये उलटी सीदी मांग करते है और आतंकवाद का सहारा लेते है। भारत इसका सबसे बड़ा उदहारण है।२५%से ४०% तक की आबादी होने परे उस देश में ग्रह युद्ध शुरू हो जाते है। सीरिया इसका सबसे बड़ा उदहारण है.सीरिया में पिछले २० वर्ष से लगातार मुसलमानों व ईसाईयों का गृहयुद्ध चल रहा है। दर्जनों अफ्रीकी देश और भी इस बात के उदहारण है। ४०% से ऊपर जब इनकी आबादी हो जाती है तो उस देश का या तो बटवारा होता है और या फ़िर शुरू होती है शरीय कानून की शुरुआत जहाँ मुसलमानों के अतिरिक्त किसी दूसरे धर्म के लोगो को जीने का कोई अधिकार नही होता।
इन सब बातों का मूल कारण क्या है? मुसलमानों की इन सोंचो के पीछे सबसे बड़ा कारण है इनकी धार्मिक शिक्षा । यानि कुरान की शिक्षा ।मानव एकता और भाईचारे के विपरीत कुरान का मूल तत्व और लक्ष्य इस्लामी एकता व इस्लामी भाईचारा है. गैर मुसलमानों के साथ मित्रता रखना कुरान में मना है. कुरान मुसलमानों को दूसरे धर्मो के विरूद्ध शत्रुता रखने का निर्देश देती है । कुरान के अनुसार जब कभी जिहाद हो ,तब गैर मुस्लिमों को देखते ही मार डालना चाहिए। कुरान में मुसलमानों को केवल मुसलमानों से मित्रता करने का आदेश है। सुरा ३ की आयत ११८ में लिखा है कि, "अपने (मजहब) के लोगो के अतिरिक्त किन्ही भी लोगो से मित्रता मत करो। "लगभग यही बात सुरा ३ कि आयत २७ में भी कही गई है, "इमां वाले मुसलमानों को छोड़कर किसी भी काफिर से मित्रता न करे। "कुरान की लगभग १५० से भी अधिक आयतें मुसलमानों को गैर मुसलमानों के प्रति भड़काती है। सन १९८४ में हिंदू महासभा के दो कार्यकर्ताओं ने कुरान की २४ आयातों का एक पत्रक छपवाया । उस पत्रक को छपवाने पर उनको गिरफ्तार कर लिया गया। परन्तु तुंरत ही कोर्ट ने उनको रिहा कर दिया। कोर्ट ने फ़ैसला दिया,"कुरान मजीद का आदर करते हुए इन आयतों के सूक्ष्म अध्यन से पता चलता है की ये आयते मुसलमानों को गैर मुसलमानों के प्रति द्वेषभावना भड़काती है............."उन्ही आयतों में से कुछ आयतें निम्न है................सुरा ९ आयत ५ में लिखा है,......."फ़िर जब पवित्र महीने बीत जायें तो मुशरिकों (मूर्ती पूजक) को जहाँ कहीं पाओ कत्ल करो और उन्हें pakdo व घेरो और हर घाट की जगह उनकी ताक में बैठो। यदि वे तोबा करले ,नमाज कायम करे,और जकात दे तो उनका रास्ता छोड़ दो। निसंदेह अल्लाह बड़ा छमाशील और दया करने वाला है। "इस आयत से साफ पता चलता है की अल्लाह और इश्वर एक नही हो सकते । अल्लाह सिर्फ़ मुसलमानों का है ,गैर मुसलमानों का वह तभी हो सकता है जब की वे मुस्लमान बन जाए। अन्यथा वह सिर्फ़ मुसलमानों को गैर मुसलमानों को मार डालने का आदेश देता है। सुरा ९ की आयत २३ में लिखा है कि, "हे इमां वालो अपने पिता व भाइयों को अपना मित्र न बनाओ ,यदि वे इमां कि अपेक्षा कुफ्र को पसंद करें ,और तुमसे जो मित्रता का नाता जोडेगा तो ऐसे ही लोग जालिम होंगे। " इस आयत में नव प्रवेशी मुसलमानों को साफ आदेश है कि,जब कोई व्यक्ति मुस्लमान बने तो वह अपने माता , पिता, भाई सभी से सम्बन्ध समाप्त कर ले। यही कारण है कि जो एक बार मुस्लमान बन जाता है, तब वह अपने परिवार के साथ साथ राष्ट्र से भी कट जाता है। सुरा ४ की आयत ५६ तो मानवता की क्रूरतम मिशाल पेश करती है ..........."जिन लोगो ने हमारी आयतों से इंकार किया उन्हें हम अग्नि में झोंक देगे। जब उनकी खाले पक जाएँगी ,तो हम उन्हें दूसरी खालों से बदल देंगे ताकि वे यातना का रसा-स्वादन कर लें। निसंदेह अल्लाह ने प्रभुत्वशाली तत्व दर्शाया है।" सुरा ३२ की आयत २२ में लिखा है "और उनसे बढकर जालिम कोन होगा जिसे उसके रब की आयतों के द्वारा चेताया जाए और फ़िर भी वह उनसे मुँह फेर ले।निश्चय ही ऐसे अप्राधिओं से हमे बदला लेना है। "सुरा ९ ,आयत १२३ में लिखा है की," हे इमां वालों ,उन काफिरों से लड़ो जो तुम्हारे आस पास है,और चाहिए कि वो तुममे शक्ति पायें।"सुरा २ कि आयत १९३ ............"उनके विरूद्ध जब तक लड़ते रहो, जब तक मूर्ती पूजा समाप्त न हो जाए और अल्लाह का मजहब(इस्लाम) सब पर हावी न हो जाए. "सूरा २६ आयत ९४ ..................."तो वे गुमराह (बुत व बुतपरस्त) औन्धे मुँह दोजख (नरक) की आग में डाल दिए जायंगे."
सूरा ९ ,आयत २८ ......................."हे इमां वालों (मुसलमानों) मुशरिक (मूर्ती पूजक) नापाक है। "
गैर मुसलमानों को समाप्त करने के बाद उनकी संपत्ति ,उनकी औरतों ,उनके बच्चों का क्या किया जाए ? उसके बारे में कुरान ,मुसलमानों को उसे अल्लाह का उपहार समझ कर उसका भोग करना चाहिए।
सूरा ४८ ,आयत २० में कहा गया है ,....."यह लूट अल्लाह ने दी है। "
सूरा ८, आयत ६९..........."उन अच्छी चीजो का जिन्हें तुमने युद्ध करके प्राप्त किया है,पूरा भोग करो। "
सूरा १४ ,आयत १३ ............"हम मूर्ती पूजकों को नष्ट कर देंगे और तुम्हे उनके मकानों और जमीनों पर रहने देंगे।"
मुसलमानों के लिए गैर मुस्लिमो के मकान व संपत्ति ही हलाल नही है, अपितु उनकी स्त्रिओं का भोग करने की भी पूरी इजाजत दी गई है।
सूरा ४ ,आयत २४.............."विवाहित औरतों के साथ विवाह हराम है , परन्तु युद्ध में माले-गनीमत के रूप में प्राप्त की गई औरतें तो तुम्हारी गुलाम है ,उनके साथ विवाह करना जायज है।

"इस्लाम समस्त विश्व को दो भागो में बांटता है। १--दारुल इस्लाम। २--दारुल हरब। वह देश जहाँ इस्लामिक राज्य होता है,वह दारुल इस्लाम तथा जहाँ इस्लाम का राज्य नही होता वह देश कुरान के अनुसार दारुल हरब(यानि शत्रु का देश) है। कुरान के अनुसार "दारुल हरब को दारुल इस्लाम में बदलना मुसलमानों का मजहबी कर्तव्य है.
इस कार्य को करने के लिए किया गया युद्ध जेहाद कहलाता है।
जेहाद-------अनवर शेख अपनी पुस्तक "इस्लाम-कामवासना और हिंसा" में लिखते है की,"गैर इमां वालों के विरुद्ध जिहाद एक अंतहीन युद्ध है । जिसमे हिंदू, बोद्ध, ---------ईसाई, यहूदी समविष्ट है.इस सिद्धांत के अनुसार किसी भी व्यक्ति का सबसे बड़ा अपराध यह है की, वह अल्लाह पर इमां लाये जाने वाले और पूजे जाने के मोहम्मद के एकमात्र अधिकार को न माने.यह आश्चर्य पूर्ण सत्य है कि, (इस्लाम का) अल्लाह ,गैर मुस्लिमों पर आक्रमण,उनके वद्ध,उनकी लूटपाट,उनकी महिलाओं के शीलभंग और दास बनाने के कार्यों को ,जिन्हें साधारण मानव भी जघन्य अपराध मानता है,उनको सर्वाधिक पुनीत एवं पवित्र घोषित करके जिहाद के लिए मुसलमानों को घूस देता है।"

अब मुसलमानों को जब उनकी धार्मिक पुस्तक कुरान ऐसी शिक्षा देती है तो बटवारे के कारणों को ढूढना एकदम मूर्खता है ।कोन किसको दोष देता है ये तो केवल राजनितिक प्रपंच है।
अंत में एक ही बात कहना चाहूँगा कि जसवंत सिंह पूरे भारत से छमा मांगे क्यों कि वह तुच्छ मनुष्य,सरदार पटेल की पाँव की धूलि के बराबर भी नही है।

टिप्पणियाँ

  1. आप ने बहुत सही लिखा है ,नए पीढ़ी के लिए ज्ञान वर्धक

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  2. agar hum ab nahi jage to phir kahbi nahi jaag payenge.. jai hin jai hindustan

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  3. ye sabhi ke liye

    " Yeh mat bhulo ki hamare purvaj Hundu the"

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  4. ye sabhi ke liye

    " Yeh mat bhulo ki hamare purvaj Hindu the"

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  5. परित्राणाय साधूनाम विनाशाय दुस्कृते धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे

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  6. agar batvaara nahi hota to kalpna karo saare musalman des me hote,hindu ek bhi seat nahi jit paata,inhi ka raaj hota,in thode musalmano ki vajah se aaj bhi b.j.p satta me nahi aa paati,saare yanha hote to b.j.p ek seat bhi jit nahi paati

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  7. tu hi hindu tu hi ram jaynathu ram godse jay sree ram26 जनवरी 2012 को 12:59 am बजे

    har hidu ko hatiyar do hum har musmlan bij ko khatm kar denge koe oort ke pet me musmlan pal rha hogo us ort ke pet ko kat ke bachche ko nikal ke marenge ab ke dnge mai 1 bhi musmlanko jinda nahi chhodege etna marenge allah ki ruh tak kap utheki har tarf musmano ka khun bhega muslmno ko bhart mai dekhte hi khun kholta hai wo din kab aaega jab apne hato se muslmano ka sir kat skenge bhagwan wo din jldi lae[ nathu ram godse jinda bad ]

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