ऋग्वेद में विमान की चर्चा.
नेहरू ने अपनी पुस्तक "डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया "में विश्व में सबसे बढे ज्ञान के स्रोत वेदों के बारे में लिखा है कि "भारत में ३००० वर्ष पूर्व जंगली मनुष्य जब भेढ़ बकरी चराया करते थे तो अपना समय काटने के लिए जो गीत गाया करते थे वे ही वेद् है।"आज नेहरू अगर जिन्दा होता तो मै उससे अवश्य पूछता कि क्या उसने कभी वेदों की प्रतियों को देखा है पढने की बात तो बहुत दूर की है। अधिकतर भारतीय लेखक भी वेदों को बिना पढ़े उनको असभ्य संस्कृति के लोगो द्वारा रचित बताते है।
जबकि वेदों के ज्ञान के बारे में बिल्कुल इसका उल्टा है।प्रथ्वी पर ऐसा कोई ज्ञान ,विज्ञानं नही है जिसकी जानकारी वेदों में न हो।वेदों के बारे में अपने इस लेख में में आपको बताऊंगा कि आज जो हवाई जहाज हवा में उड़ रहे है ,ऋग्वेद में उसकी जानकारी दी हुई है।
ऋग्वेद के प्रथम मंडल के श्लोक ७-- आ नो नावा मतीनां यातंपारे गन्तवे। युन्जाथाम्शिव्ना रथं॥
जिसका अर्थ है कि,"मनुष्यों को चाहिए कि वो रथ से स्थल,नाव से जल में तथा विमान से आकाश में आया जाया करें।"
उसके पश्चात श्लोक ८ में बताया गया है कि," कोई भी मनुष्य अग्नि,जल आदि से चलने वाले अर्थात भाप से चलने वाले यान,के बिना प्रथ्वी समुन्द्र और अन्त्रिक्ष में सुख से आने जाने में समर्थ नही हो सकता।"
९ में बताया गया है कि,"जो मनुष्य विद्ववानों की शिक्षा के अनुकूल अग्नि,जल के प्रयोग से युक्त यानो पर स्थित होके राजा-प्रजा के व्यवहार कि सिद्धि के लिए समुद्रो के छोर तक जावे-आवे तो बहुत उत्तमोत्तम धन को प्राप्त होवे।"
श्लोक १० में बताया गया है कि,"हे सवारी पर चलने वाले मनुष्यों! तुम दिशाओं को जानने वाले चुम्बक,ध्रुव यंत्र और सूर्यादि कारण से दिशाओं को जान;यानो को चलाया और ठहराया भी करो जिससे भ्रान्ति में पड़कर अन्यंत्र गमन न हो,अर्थात जहाँ जाना चाहते हो वही पहुँचो,भटकना न हो। "
इसके बाद श्लोक११ में बताया गया है कि ,"मनुष्यों को उचित है कि सर्वत्र आने-जाने के लिए सीधे और शुद्ध मार्गों को रच और विमानादि यानों से इच्छा पूर्वक गमन करके नाना प्रकार के सुखों को प्राप्त करें।"
इन श्लोकों के आलावा और भी कई जगह विमान कि चर्चा है। ऋग्वेद ज्ञानकाण्ड पर आधारित है।समस्त विश्व में जो भी आविष्कार हुए या हो रहे है उन सबका ज्ञान वेदों में है। विश्व के कितने वैज्ञानिकों ने वेदों को पढने के लिए कई कई वर्ष संस्कृत भाषा को सीखा,परन्तु हमारे देश के नेता,बुद्धिजीवी वर्ग ? ही वेदों की बुराई करने पर तुले रहते है।
मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि वह दिन जल्दी आए जब ज्ञान के भण्डार ये वेद् भारत के घर घर में पहुंचे और सभी इनका अध्यन करे।क्यों कि इतिहास साक्षि है कि जिस दिन से भारतीय वेदों कि शिक्षा से दूर होने लगे तभी से भारतीय समाज में विकृति शुरू हो गई।
(मैंने श्लोको को लिखने कि कोशिश कि परन्तु संस्कृत में होने के कारण शब्द ग़लत हो रहे थे,इसलिए केवल उनका भावार्थ ही लिखा है। )
जबकि वेदों के ज्ञान के बारे में बिल्कुल इसका उल्टा है।प्रथ्वी पर ऐसा कोई ज्ञान ,विज्ञानं नही है जिसकी जानकारी वेदों में न हो।वेदों के बारे में अपने इस लेख में में आपको बताऊंगा कि आज जो हवाई जहाज हवा में उड़ रहे है ,ऋग्वेद में उसकी जानकारी दी हुई है।
ऋग्वेद के प्रथम मंडल के श्लोक ७-- आ नो नावा मतीनां यातंपारे गन्तवे। युन्जाथाम्शिव्ना रथं॥
जिसका अर्थ है कि,"मनुष्यों को चाहिए कि वो रथ से स्थल,नाव से जल में तथा विमान से आकाश में आया जाया करें।"
उसके पश्चात श्लोक ८ में बताया गया है कि," कोई भी मनुष्य अग्नि,जल आदि से चलने वाले अर्थात भाप से चलने वाले यान,के बिना प्रथ्वी समुन्द्र और अन्त्रिक्ष में सुख से आने जाने में समर्थ नही हो सकता।"
९ में बताया गया है कि,"जो मनुष्य विद्ववानों की शिक्षा के अनुकूल अग्नि,जल के प्रयोग से युक्त यानो पर स्थित होके राजा-प्रजा के व्यवहार कि सिद्धि के लिए समुद्रो के छोर तक जावे-आवे तो बहुत उत्तमोत्तम धन को प्राप्त होवे।"
श्लोक १० में बताया गया है कि,"हे सवारी पर चलने वाले मनुष्यों! तुम दिशाओं को जानने वाले चुम्बक,ध्रुव यंत्र और सूर्यादि कारण से दिशाओं को जान;यानो को चलाया और ठहराया भी करो जिससे भ्रान्ति में पड़कर अन्यंत्र गमन न हो,अर्थात जहाँ जाना चाहते हो वही पहुँचो,भटकना न हो। "
इसके बाद श्लोक११ में बताया गया है कि ,"मनुष्यों को उचित है कि सर्वत्र आने-जाने के लिए सीधे और शुद्ध मार्गों को रच और विमानादि यानों से इच्छा पूर्वक गमन करके नाना प्रकार के सुखों को प्राप्त करें।"
इन श्लोकों के आलावा और भी कई जगह विमान कि चर्चा है। ऋग्वेद ज्ञानकाण्ड पर आधारित है।समस्त विश्व में जो भी आविष्कार हुए या हो रहे है उन सबका ज्ञान वेदों में है। विश्व के कितने वैज्ञानिकों ने वेदों को पढने के लिए कई कई वर्ष संस्कृत भाषा को सीखा,परन्तु हमारे देश के नेता,बुद्धिजीवी वर्ग ? ही वेदों की बुराई करने पर तुले रहते है।
मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि वह दिन जल्दी आए जब ज्ञान के भण्डार ये वेद् भारत के घर घर में पहुंचे और सभी इनका अध्यन करे।क्यों कि इतिहास साक्षि है कि जिस दिन से भारतीय वेदों कि शिक्षा से दूर होने लगे तभी से भारतीय समाज में विकृति शुरू हो गई।
(मैंने श्लोको को लिखने कि कोशिश कि परन्तु संस्कृत में होने के कारण शब्द ग़लत हो रहे थे,इसलिए केवल उनका भावार्थ ही लिखा है। )
नवीनजी इसमें कोइ शक नहीं कि नेहरू एक हद दर्जे का नीच व्यक्ति था। वह मर गया तो क्या उसका खानदान तो जिंदा है देश की छाती पर मूग दलने को।
जवाब देंहटाएंवेदों से मिले ज्ञान का लाभ उठाकर जर्मनी महाशक्ति बन गया, यह तो जर्मन स्वयं स्वीकारते हैं. इस देश के राजनेताओं की बुद्धि पर तरस आता है. एक प्रधान मंत्री ने अकाल और भूख पर बहस के दौरान कहा था, "अगर रोटी नहीं है तो लोग केले क्यों नहीं खाते." एक अन्य प्रधान मंत्री ने गन्ना किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा था, "आप लोग गुड़ के पेड़ लगायें, उनसे बड़े-बड़े गुड़ पैदा करें." एक रेल मंत्री(लालू नहीं) ने मीटर गेज सेक्शन में रेल वर्कर्स से कहा था, "मन लगा कर काम करें, तनख्वाह बड़ी लाइन के बराबर कर दूंगा." ताज़ा मामला माननीय शशि थरूर का है. इन राजनीतिज्ञों के कथन से किसी का कुछ बिगड़ने वाला नहीं, वेद तो शाश्वत ज्ञान हैं और ज्ञान की हंसी उड़ाने वाले को लोग क्या कहते हैं!!
जवाब देंहटाएंrohan ji desh ki chhati par jo khandan moong dal raha hai vah nehroo ka nahi balki navab khan ka hai. jo ki rahul ka pardada tha.
जवाब देंहटाएंनेहरू से ज़्यादा नीच सचमुच कोई नही था. ये सेक्युलर का कन्सेप्ट उसी की देन है वर्ना सरदार पटेल होते तो भारत सिर्फ़ हिन्दुस्थान होता...
जवाब देंहटाएंgyanparak lekh
जवाब देंहटाएंaapki koshish gyan ka prakash failaye
bahut gyanvardhak aallekh .ramchritmanas me bhi pushpak viman ka varnan hai .
जवाब देंहटाएंनवीन जी आपके लेख मुझ मे उर्जा भर देते हैं |कृपा करके लिखते रहिये |
जवाब देंहटाएंनवीन जी जिन वेदों को हमने नहीं पढ़ा है,उनको पढ़कर आप हमें जो ज्ञान हमारे बीच बांटते है ,उसके लिए लाख-लाख धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंnehroo ko maro goli.aap likhte rahiye
जवाब देंहटाएंbahut sundar
जवाब देंहटाएंlogon k beech saachi pahunchni chahiye
जवाब देंहटाएंkripaya likte rahen
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंmain bas itna jaanana chaahunga..k agar vedo me itna gyaan hai..to vedo ke gyaan ke aadhaarpar bhaarat ne abtak kon konse upakaran athwa yantr banaaye hain ?? jo bhi udaaharan aapne upar diye hain..unmese mujhe kisi chiz ki icchha hona..aur usme se kalpana karna bhar siddhh hona pratit hota hai !! insaan ka mul swabhaaw hi kalpana karna hai !! magar kalpnaaao ko mahatw kewal tab milta hai..jab unhe murt swaroop praapt ho !! yahi kalpanaaye kya...inse bhi aalaatam darje ki kalpanaaye..hamaare bacchhe pratidin karte hain...isme aapko bhi koi sandeh nahi hoga !! agar vedo me wimaano ke udne ka koi tark ya spashtikaran ho..to kripya mujhe bhi bataayein...taaki mai bhi vedo par garw kar sakoo...kyoki mujhe tark wiprit baato par tilmaatr bhi bharosa nahi hone paata !!
जवाब देंहटाएंkrishna yadav maine ved pade hain aap bhi pade aur khud jhach le
जवाब देंहटाएंwaise hinduao ki ya gulami mansikta hai ki apni burai khud karo waise aap apna naam bhi badal len aur krish rakh len western lagega
Naveen ji aap jaise log hi is desh ko sudhar sakte hai.aap ke lekh bahut josh bhar dene wale hai.mera aap se nivedan hai ki aap lekh likhte rahe.
जवाब देंहटाएंNaveen ji aap ks lekh pasand aya. me us viman ki Technology Janta hu.
जवाब देंहटाएंartistvijaysh@rediffmail.com
Chanel History 18 per ANCIENT ALIENS Dekho Bhaiyo Sab Pata Chal jayega Sach kya hai, Sir Apani Nazar hi nahi khuli rakhana apani buddhi bhi istamal karana usame sab hi tarkk sahi our galat nahi hai, apani apani soch bhi lagana Bai - bai
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