मुसलमानों के पूर्वज कोन?(जाकिर नाइक के चेलों को समर्पित लेख)

स्व0 मौलाना मुफ्ती अब्दुल कयूम जालंधरी संस्कृत ,हिंदी,उर्दू,फारसी व अंग्रेजी के जाने-माने विद्वान् थे। अपनी पुस्तक "गीता और कुरआन "में उन्होंने निशंकोच स्वीकार किया है कि,"कुरआन" की सैकड़ों आयतें गीता व उपनिषदों पर आधारित हैं।
मोलाना ने मुसलमानों के पूर्वजों पर भी काफी कुछ लिखा है । उनका कहना है कि इरानी "कुरुष " ,"कौरुष "व अरबी कुरैश मूलत : महाभारत के युद्ध के बाद भारत से लापता उन २४१६५ कौरव सैनिकों के वंसज हैं, जो मरने से बच गए थे।
अरब में कुरैशों के अतिरिक्त "केदार" व "कुरुछेत्र" कबीलों का इतिहास भी इसी तथ्य को प्रमाणित करता है। कुरैश वंशीय खलीफा मामुनुर्र्शीद(८१३-८३५) के शाशनकाल में निर्मित खलीफा का हरे रंग का चंद्रांकित झंडा भी इसी बात को सिद्ध करता है।
कौरव चंद्रवंशी थे और कौरव अपने आदि पुरुष के रूप में चंद्रमा को मानते थे। यहाँ यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि इस्लामी झंडे में चंद्रमां के ऊपर "अल्लुज़ा" अर्ताथ शुक्र तारे का चिन्ह,अरबों के कुलगुरू "शुक्राचार्य "का प्रतीक ही है। भारत के कौरवों का सम्बन्ध शुक्राचार्य से छुपा नहीं है।
इसी प्रकार कुरआन में "आद "जाती का वर्णन है,वास्तव में द्वारिका के जलमग्न होने पर जो यादव वंशी अरब में बस गए थे,वे ही कालान्तर में "आद" कोम हुई।
अरब इतिहास के विश्वविख्यात विद्वान् प्रो० फिलिप के अनुसार २४वी सदी ईसा पूर्व में "हिजाज़" (मक्का-मदीना) पर जग्गिसा(जगदीश) का शासन था।२३५० ईसा पूर्व में शर्स्किन ने जग्गीसी को हराकर अंगेद नाम से राजधानी बनाई। शर्स्किन वास्तव में नारामसिन अर्थार्त नरसिंह का ही बिगड़ा रूप है। १००० ईसा पूर्व अन्गेद पर गणेश नामक राजा का राज्य था। ६ वी शताब्दी ईसा पूर्व हिजाज पर हारिस अथवा हरीस का शासन था। १४वी सदी के विख्यात अरब इतिहासकार "अब्दुर्रहमान इब्ने खलदून " की ४० से अधिक भाषा में अनुवादित पुस्तक "खलदून का मुकदमा" में लिखा है कि ६६० इ० से १२५८ इ० तक "दमिश्क" व "बग़दाद" की हजारों मस्जिदों के निर्माण में मिश्री,यूनानी व भारतीय वातुविदों ने सहयोग किया था। परम्परागत सपाट छत वाली मस्जिदों के स्थान पर शिव पिंडी कि आकृति के गुम्बदों व उस पर अष्ट दल कमल कि उलट उत्कीर्ण शैली इस्लाम को भारतीय वास्तुविदों की देन है।इन्ही भारतीय वास्तुविदों ने "बैतूल हिक्मा" जैसे ग्रन्थाकार का निर्माण भी किया था।
अत: यदि इस्लाम वास्तव में यदि अपनी पहचान कि खोंज करना चाहता है तो उसे इसी धरा ,संस्कृति व प्रागैतिहासिक ग्रंथों में स्वं को खोजना पड़ेगा.

टिप्पणियाँ

  1. काफी उत्प्रेरक और जगृत करने वाला...
    बहुत सुन्दर रचना।

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  2. tyagi ji naaik ke chele aapke is lekh ko padh kar kuchh na kuchh kurafat karne ki jaroor soch rahe honge.

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  3. सुन्दर लेख और जानकारी देंगे तो बहुत अच्छा लगेगा।

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  4. हम तो ऐसे भी आपके लेखन के मुरीद है ..जवाब नहीं आपका ,लाजवाब

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  5. tyagi g naik ke chele abhi tak aaye kyon nahi

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  6. the government who can not punish parliament attecker can not protect hindustani people

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  7. aankh khol dene vali rachna hai

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  8. are ashok tum kya keh rahe ho
    jo lekh liklhne vala navin tyagi khud aapne bare me nahi jaante ke ye kaha se peda huva he. iska baap kon he.uska saga ya pados wala.
    or aap log isko maan rahe he
    aaj tak ye nahi pata kar paya ke uska baap kon he or bohat jald islam ke bare me dhundh liya .sachhayi dhundhni bhi nahi aati or yaha pe lekh likh diay
    u idiot navin and ur undhe chele
    aapko muslim se kya dusmani he jo aap islam ke bare me galat galat bate likh rahe he.
    i think tumhe sachhayi janni nahi he ya to tum bahar aane se darte ho.
    tum muje puchho me tumhe sab bataounga
    or tumhari galat fehmi dur karunga.
    or tumhe janwar se insaan banaunga.

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  9. ab tumhe yahan bhi jawab dena hoga mujhe kya navin tiyagi..pehchana mujhe atif khan tumhari wattt laga chuka hun main pichle blog mein :D kaho to yahan bhi jawab dun..lekin bhai tum ho barhe farig aadmi koi kaam dhanda nahin hai tumhare paas jo aise blog mein hi waqt guzarte rehte ho >>

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  10. Naveen tiyagi ji kya hua wo quran wale blog mein to aapki peshaab nikal gayi kahein to yahan bhi aapko zaleel kar dun :P...
    main tumhe pehle bhi keh chuka hun ki ye maulana jo kehte hain ye islam nahin hai..
    islam hai Quran aur Hadid..tu ek bhi verse lakar dikha apni geeta ya kisi vedas mein se jo quran mein li gayi ho
    main hindu banne ko tayyar hun....
    from atif khan...

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    उत्तर
    1. sale muhammad ke lode agar tu geeta padhega na to tujhe pata chalega ki teri jat ka paida maru jo karta hai galti hin karta hai

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  11. सुन्दर उत्प्रेरक और जगृत करने वाला लेख ! लिखते रहिये !!!

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  12. वैसे मैं मुसलमान नहीं हु पर आपके ब्लॉग को कई दिनों से पड़ रहा हु...पहली बात की मुसलमान इस देश में ब्राम्हणों के कारण ही राज कर सके क्युकी ब्राम्हण वैदिक धर्म को दुबारा ऊपर उठाना चाहते थे जो की बोद्ध धर्म के द्वारा हाशिये पे चला गाय था....तब ब्राम्हणों ने मुसलमानों से सझोता किया और ६०% पे मुसलमान और ४०% ब्राम्हणों का राज़ हुआ....ये सब बोद्ध धर्म का नाश करने के लिए किया गया....और अब आप अपने लेख को सम्हाल कर लिखियेगा क्युकी मैं अब आपके हर लेख का जवाब दूंगा,,,,,आप मुझे इमानदार इन्सान लगते है,पर याद रखिये वैदिक धर्म हजारो साल पहले स्वर्ग था पर अब ब्राम्हणों ने ही इसे नरक बना दिया है....

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  13. सतीश जी मै आपके साथ किसी बहस में उलझना नहीं चाहता,लेकिन जो बात आपको में बता रहा हूँ वो इतिहास का सच है. जिस समय मुसलमानों ने भारत पर आक्रमण किये उस समय से १०० वर्ष पूर्व पूरा भारत केवल मात्र आज के अफगानिस्तान को छोड़कर वैदिक भारत ही था .उत्तर भारत में सम्राट हर्ष व दक्खिन में सम्राट पुलकेशिन दितीय भारत की छवि को पूरे विश्व में चमकाए हुए थे. उस समय के ब्राह्मणों में और बाद के ब्राह्मणों में वास्तव में बहुत अंतर आ गया था मै आपकी इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ. ,क्यों कि मसलमानों के आक्रमणों में सबसे पहले विश्वविध्यालय जलाये गए तक्षशिला का नाम तो तुमने जरूर सुना होगा,ब्राहमण वेदों से दूर होते चले गए,समाज में सारी विक्र्तियाँ मुस्लिम आक्रमणों के बाद ही आई. जहाँ तक आपकी बात है कि बोद्धों को समाप्त करने के लिए ब्राह्मणों ने मुसलमानों का साथ दिया तो आपकी संकीर्ण सोच पर तरस आता है.मोहम्दबिन कासिम के बड़े आक्रमण से पूर्व भी मुसलमानों के भारत पर लगभग ८० आक्रमण हुए किन्तु उनकी सेना का एक भी सैनिक जिन्दा बचकर नहीं लोटा.क्योकि आज के अफगानिस्तान में लगभग सारी आबादी बोद्ध थी,तो उन्होंने भारत पर आक्रमण के समय मुसलमानों को सुरक्षित रास्ता दिया ,जिसका दंड सिंध के ब्रह्मण शासकों ने कुछ बोद्धों को अवश्य दिया. इतिहास सिंध के राजा दाहिर की वीरता का गवाह है कि किस प्रकार उसने मोहम्मद बिन कासिम की सेना का मुकाबला किया और किस प्रकार उसको बोद्धों ने धोखा दिया. और उस धोखे का परिणाम ही है कि कल का बोद्ध अफगानिस्तान मोहम्मद बिन कासिम की तलवार के सायें में पूरी तरह मुसलमान बन गया.

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  14. You used a term Arabo ke KulGuru Shukracharya, Could you please give me any reference for this. Some people told me that it is given in History of Persia by P.M.Sykes, I have seen both vol of that book , I didn't get any reference for this statement.

    So, I need your help to get reference in this context.

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