क्या लादेन हेडली कसाब जवाहिरी आतंकवादी हैं


१ - इस्लाम विगत १००० वर्षों से भारत व विश्व के लिए मुसीबत बन गया है विश्व के वे सभी देश जहां मुस्लिम रहते हैं इस्लाम से पीड़ित हैं । इस समस्या सेनिपटने के लिए हमें यह जानना होगा कि वास्तव में समस्या की जड़े कहां है व उनका समाधान किस प्रकार किया जा सकता है । इसी प्रकार इस लेख में हम यह जानने का प्रयास करेंगें कि इस समस्या को सुलझाने के लिए हिन्दुओं द्वारा अब तक क्या प्रयास किए गए है व उन प्रयासों का क्या प्रभाव हुआ है ।लेख को अधिक न बढ़ाते हुए सबसे पहले यह देखना होगा कि समस्या की जड़ कहां है । उसके लिए इस लेख को देखें ।
एक बात पर विचार करें । यदि एक एक बच्चे को बचपन से पढ़ाया जाता है कि अल्लाह व उसका पैगम्बर सबसे महान है । अल्लाह के अतिरिक्त किसी अन्य कोपूजना या अल्लाह के साथ किसी को पूजना दुनिया का सबसे बड़ा अपराध है । मौहम्मद पैगम्बर ने जो कुछ किया वो ठीक है उसमें कोई गलती नहीं हो सकती।मुसलमान अपने पूरे जीवन में वही कार्य करते हैं जो मौहम्मद ने कहा अथवा किया ।
अब आइए देखते हैं मौहम्मद पैगम्बर ने अपने जीवन में क्या क्या किया ।
1- मक्का पर विजय करते ही मौहम्मद पैगम्बर ने सबसे पहले काबे में घुसकर वहां पर मूर्तियों को तोड़ा ।
2- जो व्यक्ति अपनी पकड़ में आया उसे इस्लाम ग्रहण करने के लिए धमकाया ।
3- उसके बाद अपने आस पास के राज्यों के इस्लाम ग्रहण करने युद्ध करने अथवा जजिया देने तीनों में से एक को ग्रहण करने को कहा ।
यही सारा कार्य तो मुसलमान भारत में आज तक करते आए हैं ।
१- मुसलमानों ने हिन्दुओं के हजारों मंदिर इसी कारण तोड़े हैं ।
२- इसीलिए मुसलमान गैर मुसलमान को मुसलमान बनने के लिए विवश करते हैं ।
कश्मीर समस्या-
इसी प्रकार कश्मीर में क्या समस्या है इसे समझें । मुसलमानो ने भारत का बंटवारा 1947 मे करवाया ।कश्मीरी जनता भी दरअसल1947 में पाकिस्तान में अपने विलय का सपना देख रही थी । परतुं महाराजा हरिसिंह ने उनकी आशाओं के विपरीत भारत के साथ विलय पर हस्ताक्षर कर दिए । मुसलमानों का पाक स्थान ( पाकिस्तान ) में रहने का सपना समाप्त हो गया । अब मुसलमान सीधे तो भारतीय सेना से लड़ नहीं सकते थे । अतः उन्होंने कश्मीर को आजाद करने के लिए जिहाद का सहारा 1980 के दशक में लेना प्रारम्भ करदिया। कुरान में लिखा है कि सारी पृथ्वी अल्लाह की है । अब जब सारी पृथ्वी अल्लाह की है तो उसके जायज हकदार तो मुसलमान ही हुए । ( पैगम्बर मुहम्मद ने मदीना के बैतउल मिदरास में बैठे यहूदियों से कहाः ''ओ यहूदियों! सारी पृथ्वी अल्लाह और उसके 'रसूल' की है। यदि तुम इस्लाम स्वीकार कर लो तो तुम रक्षित रह सकोगे।'' मैं तुम्हें इस देश से निकालना चाहता हूँ। इसलिए यदि तुममें से किसी के पास सम्पत्ति है तो उसे इस सम्पत्ति को बेचने की आज्ञा दी जातीहै। वर्ना तुम्हें मालूम होना चाहिए कि सारी पृथ्वी अल्लाह और उसके रसूल की है''। (बुखारी, खंड ४:३९२, खंड ४:३९२, पृ. २५९-२६०, मिश्कत, खंड २:२१७, पृ.४४२)। ) अब मुसलमानों ने कश्मीर में अपनी भूमि छुड़वाने के लिए जिहाद शुरू कर दिया । उनके द्वारा फैलायी गयी हिसां के शिकार वहां के हिन्दू हुए जिन्हे अपना घरबार छोड़कर वहां से भागना पड़ा । इसी हिंसा का शिकार वहां के सुरक्षा बल के कर्मचारी भी हुए । इसी के कारण सेना के जवानों द्वारा वहां क्रोध वकामवासना का शिकार वहां की कुछ मुस्लिम बच्चे व महिलाएं हुई । जिन्हें उनकी प्रत्यक्ष गलती न होने के कारण भी बलात्कार या मृत्यु का शिकार होना पड़ा ( उनकी गलती केवल यह हो सकती है कि वे कुरान को सही मानती हैं इस बात को सही मानती है कि सारी पृथ्वी तो अल्लाह के रसूल की है तो उनसे मिलने वाले सभी मुसलमानों के मन में सुरक्षा बलों के प्रति अविश्वास की खाई और चौड़ी हो गयी । सुरक्षा बल की इन ज्यादतियों को देखते हुए मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को व मस्जिद में मुसलमानों को नफरत का पाठ पढ़ाया गया जिससे दोनों पक्षों की बीच की दीवारे इतनी चौड़ी हो गयी जिसे सुरक्षा बल द्वारा अपने किसी भी अभियान ( जैसे दवाइयां बांटने या कपड़े या मुसलमानों को किसी भी प्रकार की सहायता देने ) से समाप्त नहीं किया जा सकता ।
आतंकवादी कैसे बनता है ? माने एक बच्चा जिसकी उम्र 2 साल की है और वह मदरसे में जाना शुरू कर देता है । जहां उसे गैर मुसलमानों को नष्ट करने सारी दुनिया को इस्लाम में बदलने की शिक्षा दी जाती है । उसे बताया जाता है मूर्ति पूजा अथवा अल्लाह के अलावा किसी और की पूजा सबसे बड़ा ( हत्या से भी बड़ा अपराध है ) यही बात सोचकर वह बड़ा होता है तो देखता है कि उसके पास जैसे पाकिस्तान या अफगानिस्तान में अमेरिकी फौन निरपराध नागरिकों की हत्या कर रही है। भारत में जन्म लेता है तो देखता है कि उसके भाई बहिनों के साथ कश्मीर और गुजरात में अत्याचार हो रहें हैं । मुस्लिम औरतों के साथ हिन्दू बहुल भारत में ( गुजरात व कश्मीर ) में बलात्कार किए जा रहे हैं । भारत में रहता है तो देखता है कि कई जगह उसके मुस्लिम होने के कारण उसे संदेह से देखा जाता है । ( यही कारण है कि अजहरूद्दीन जैसा व्यक्ति जिसे भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान तक बनाया गया यह कहता है कि उसके साथ मुसलमान होने के कारण सट्टेबाजी में फंसाया जा रहा है ) ये सारी बाते उसके दिमाग में विद्रोह को भर देती हैं और वह अपने भाई मुसलमानों पर होने वाले अत्याचारों के विरूद्ध जिहाद के लिए तैयार हो जाता है । वह बेचारा आत्मघाती बन जाता है वह विस्फोट करके अपने को उड़ा देता है । यही सारी बात हाल ही की फिल्म कुरबान में दिखायी गयी है । वह बेचारा कीट पतंगें की तरह है जो दीए की लौ में खुद ही भस्म हो जाता है । अब आप स्वयं फैसला करें कि क्या जो कार्य लादेन, हेडली, कसाब, जवाहिरी इत्यादि इस्लाम पीडि़त ( आतंकवादी ) लोग कर रहे है उसे किसी भी तरह से गलत ठहराया जा सकता है ।
सारी दुनिया मे इस्लाम फ़ैलाने के उद्देश्य से ही इस्लाम में गर्भ निरोधक को हराम बता दिया है । अब स्वयंविचार करें कि वह औरत जिसके पेटया गोदी में हर समय एक बच्चा हो वह क्या अपने घर के अलावा कुछ और सोचने की स्थिति में होगी ।
मुसलमान सारी दुनिया में वास्तव में सबसे दुखी कौम है । मुसलमान कहते हैं सारी दुनिया इस्लाम को समाप्त करने की साजिश कर रही है । वे ऐसा क्यों कहते हैं वे ऐसा इसीलिए कहते हैं क्योंकि वे खुद सारी गैर मुस्लिम दुनिया को समाप्त करके सारी दुनिया को इस्लाम के हरे रंग में रंगने की तैयारी कर रहे हैं । चूंकि वे खुद सारी दुनिया के हजार वर्ष से दुश्मन बनें हैं अतः उन्हें सारी दुनिया भी मुसलमानो की दुश्मन नजर आती है । दिया । अब हथियारों का उत्तर किसी भी दुनिया में अंहिसा से नहीं दिया जा सकता अतएव भारत सरकार ने भी मजबूरी में अपनी सेना को कश्मीर में लगाना पड़ा । अब लगातार 25 वर्षों से कश्मीर भारत से केवल सेना के बल पर ही रूका हुआ है अगर आज भारत सरकार कश्मीर से सेना हटा लेती है तो निश्चित रूप से कश्मीरी मुसलमान कश्मीर का पाकिस्तान में विलय कर देंगे ये मुसलमानों की मजबूरी है । कुरान व मौहम्मद के आदेश से मुसलमान इंकार कर नहीं सकते । इसीलिए वह कश्मीरी जिसकी प्रति व्यक्ति आय आतंकवाद के शुरू होने से पहले भारत में सबसे अधिक थी आज हजारों करोड़ की मदद से दाना पानी खा रहे हैं । अब जरा राष्ट्रवादी मुस्लिम की स्थिति पर भी विचार करें वह भारत के लिए सोचता है । कट्टरता से भी ग्रस्त नहीं है पर जब वह हिन्दुओं का व्यवहार देखता है कि सारे हिन्दू उसे संदेह की नजर से देखते हैं तो उसके दिल पर क्या बीतती होगी यह केवल वही जानता । उसी के दिल की व्यथा को भारतीय फिल्मों में दिखाया जाता है । कुरान की आयतों ने ही पूरे मुस्लिम व गैर मुस्लिम समाज को परेशान कर रखा है । मुसलमान और गैर मुसलमान के बीच शत्रुता की खाई को तब तक के लिए खोद दिया है जब तक कि सारे गैर मुसलमान मुसलमान न बन जाएं । समस्या यह है कि कुरान नफरत के बीज फैला रही है और जब यह बीज बढ़कर गोधरा जैसे नरसंहार का कारण बनते हैं तो उसके प्रति नफरत फैलना दूसरे समाज के लिए स्वाभाविक है । परंतु यदि हम जड़ पर कोई प्रहार नहीं करेंगे तो इसी प्रकार के नरसंहार होते ही रहेंगे ।
आइए अब तस्वीर के दूसरे पहलू की ओर नजर करते हैं । गैर मुसलमान या अपनी समझ में जरा जल्दी आएगा हिन्दू इस्लाम से क्यों नाराज है
इसे आपको इस लेख से पता चला जाएगा । सारांश में हिन्दुओं को समझ में नहीं आता कि कश्मीर में आखिर जेहाद क्यो चलाया जा रहा वहां से कश्मीरी पंडितों को क्यों बाहर निकाल दिया गया है । गुजरात में गोधरा में क्यों आग लगायी गयी थी । मुसलमानों ने हिन्दुओ की हजारों मंदिर क्यों तोड़े । भारत में इतने विस्फोट क्यों किए जा रहे हैं । इसका कोई जवाब उन्हें नहीं मिलता । ऐसे हजारों वर्षों के लाखों कारणों की वजह से हिन्दुओं का गुस्सा कहीं कहीं बाहर फूट पड़ता है । जैसे गुजरात में गोधरा के बाद फूटा पर उस गुस्से का और उल्टा असर होता है और यही गुस्सा नए हजारों आतंकवादियों के बनने में उत्प्रेरक का कार्य करता है ।
मुसलमानों की गैर मुसलमानों से इस तरह के व्यवहार से सभी गैर मुसलमान परेशान हो चुके हैं । पर उसका इलाज उन पर गुस्सा करना नहीं है ।
अब आइए देखते हैं हिन्दुओं द्वारा भारत में अब इस्लाम से निपटने के लिए क्या क्या उपाय किए गए हैं अथवा हिन्दू क्या सोचते है ?
एक साधारण उपाय हिन्दु कहते हैं कि पाकिस्तान के आतंकवादी शिविरों पर हमला कर उन्हें नष्ट कर देना चाहिए । पर वह काम तो अमेरिका कर ही रहा है और उससे आतंकवाद के समाप्त होने का कोई निशान दूर दूर तक नजर नहीं आ रहा है । लादेन के मरने से आतंकवाद समाप्त नहीं हुआ है। कुरान व हदीस में गैर मुसलमानों के विरूद्ध जहर के रहते मदरसे हर साल लाखों की संख्या में लादेन व उसके अनुयायी पैदा करते ही रहेंगे । हिन्दुओं द्वारा स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अब तक जो इस्लाम की आंधी को रोकने के लिए किए गए कार्य किए गए उनमें सबसे पहले श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अनुच्छेद 370 को हटाने का मुद्दा उठाया इसी के लिए अपना बलिदान दिया । पर उनके बलिदान के आज 50 वर्ष से भी अधिक बीत जाने के बावजूद धारा 370 हटाये जाने के कोई आसार नहीं हैं । न हीं समान नागरिक संहिता लागू करने के कोई आसार दिखाई देते हैं । उसके बाद राम मंदिर आंदोलन व हाल ही में कश्मीर में अमरनाथ मंदिर के लिए भूमि का आवंटन करने के लिए भी हिन्दुओं द्वारा आंदोलन किया गया है परंतु इन सभी आंदोलनों से समस्या की जड़ पर कोई प्रहार नहीं हुआ बल्कि इस्लाम का अपनी आबादी बढ़ाना और मदरसों द्वारा उस आबादी को कट्टर बनाने का कार्य निर्बाध रूप से जारी है । अब मान ले हम अपने उपरोक्त आंदोलन में सफल हो भी जाते हैं तो इन सबसे समस्या का समाधान किसी भी स्तर पर नहीं होगा । यदि राम मंदिर हिन्दुओं को अदालत के आदेश से मिल भी जाता है तो आने वाले समय में पुनः छिन जाएगा । अनुच्छेद 370 को हटा भी दिया जाता है तो आने वाले समय में पूरा भारत कश्मीर की तरह हो जाएगा व पूरे भारत से हिन्दुओं को कश्मीर की तरह से निकालने की साजिश की जाएगी । समस्या की जड़ तक पहुंच कर जब तक उस पर प्रहार नहीं किया जाएगा तबतक केवल इसकी फूल पत्तियों या टहनियों को काट कर को समाधान नहीं मिल पाएगा । जड़ के रहते वे फिर से आ जांएगी । अतः अब प्रहार सीधे जड़ पर करना होगा । और जड़ कुरान व हदीस में लिखें मौहम्मद पैगम्बर का संदेश है । अब इसका केवल एक ही उपाय है कि सारे गैर मुसलमान मुसलमानों से कहें कुरान में जो गैर मुसलमानों के विरूद्ध लिखा गया है उसे मानना अथवा कुरान को मानना ( अर्थात इस्लाम छोड़ दें ) बंद करें । मुसीबत को और बढ़ने से रोकने के लिए मुसलमानों की जनसंख्या पर तुरंत रोक लगाने का उपाय किया जाए । सारे गैर मुसलानों को इस प्रयास में युद्ध स्तर पर लग जाना चाहिए । अब इसका केवल एक ही उपाय दिखायी देता है कि सारे गैर मुसलमान मुसलमानों से कहें कुरान में जो गैर मुसलमानों के विरूद्ध लिखा गया है उसे मानना अथवा कुरान को मानना ( अर्थात इस्लाम छोड़ दें ) बंद करें । मुसीबत को और बढ़ने से रोकने के लिए मुसलमानों की जनसंख्या पर तुरंत रोक लगाने का उपाय किया जाए ।
एक गैर मुसलमान को जो प्रश्न मुसलमानों से पूछने चाहिए सारे गैर मुसलानों को इस प्रयास में युद्ध स्तर पर लग जाना चाहिए । एक गैर मुसलमान को जो प्रश्न मुसलमानों से पूछने चाहिए
1- सउदी अरब में मंदिर या चर्च बनाने की इजाजत क्यों नहीं है। 2- मौहम्मद साहब ने मक्का विजय के बाद काबा में मूर्तियों का क्यों तोड़ा था । 3- मौहम्मद साहब व उनके बाद के इस्लामी शासकों ने अन्य देशों पर इस्लाम स्वीकार करने जजिया देने या युद्ध का विकल्प रखने के लिए क्यों संदेश भेजा था 4- कश्मीर से सारे कश्मीरी पंडितों किसने निकाला है। 5- गर्भ निरोधक क्यों हराम है । 6- इन दोनों फतवों का क्या अर्थ है ।
१- क्या ग़ैर-मुस्लिम पर इस्लाम स्वीकार करना अनिवार्य है?
२- धर्मों की एकता के लिए निमंत्रण का हुक्म
यदि आप मानते हैं कि उपरोक्त लेख देश के इस्लामीकरण को रोकने में सहायत हो सकता है तो इस लेख का प्रचार करें ।
(साभार--हिंदुस्तान गौरव)

टिप्पणियाँ

  1. आपके इस लेख से पूरी तरह सहमत हूँ...आपने समस्या की असली जड़ को पहचानते हुए बिलकुल सही आकलन प्रस्तुत किया है...
    इन जिहादियों को वश चले तो ये गधे घोड़ों को भी इस्लाम को अपनाने के लिए विवश कर दें...

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  2. मुसलमानों से ठीक उसी तरह का बर्ताब होना चाहिए जैसा मुसलमानों ने हिन्दूओं से किया है।

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  3. समस्या तो वहीँ पर आकर अटक जाती है की कुरआन में जो कुछ भी लिखा है वो उस समय जो जो घटित हुआ उसके हिसाब से लिखा है. अब ये अन्य धर्मो का दुर्भाग्य है या मुसलमानों का सौभाग्य है की यही सब उनका धर्म बन गया.
    उस समय जब इस्लाम को मानने वालो पे अत्याचार हो रहा था तब मोहम्मद साहब को अल्लाह के आदेश आते रहे की ज़ुल्म को मत सहो, इस्लाम के अलावा बाकी सभी धर्म हराम हैं, अगर कोई तुम्हारे धर्म पे बुरा बर्ताव करता है तो उसको कुचल दो वगेरह वगेरह. जिन लोगो ने (गैर मुस्लिम) कुरआन के बारे में थोडा बहुत जाना है वो इन सब फतवों का उस समय के हिसाब से पक्ष ही लेंगे, की भाई अगर आपके ऊपर ज़ुल्म हो रहा है तो आप उसको एक सीमा तक ही झेल सकते हैं, उसके बाद आप भी उग्र हो जायेगे. मगर ये सब आगे चल कर एक धर्म रुपी आतंकवाद बन जायेगा ये शायद मोहम्मद साहब ने भी नहीं सोचा होगा.

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  4. तुम लोग इसलाम को बदनाम कहे कर रहो

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  5. Islam aak pyara mazahab hai jo tum ne likha hai o galat likha hai

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  6. mangadhant Kahaniyo se Islam ko koi khatra nahi hai, aap jo chahe likhe par aaj bhi hazaaro log apni marzi se Islaam granhan kar rahe hai.

    Jay hind, vande maatram

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  7. इस्लाम का भविष्य क्या होगा ?
    मुसलमान अक्सर अपनी बढ़ती जनसंख्या की डींगें मारते रहते है .और घमंड से कहते हैं कि आज तो हमारे 53 देश हैं .आगे चलकर इनकी संख्या और बढ़ेगी .इस्लाम दुनिया भर में फ़ैल जायेगा .विश्व ने जितने भी धर्म स्थापक हुए हैं ,सभी ने अपने मत के बढ़ने की कामना की है .लेकिन मुहम्मद एकमात्र व्यक्ति था जिसने इस्लाम के विभाजन ,तुकडे हो जाने और सिमट जाने की पहिले से ही भविष्यवाणी कर दी थी .यह बात सभी प्रमाणिक हदीसों में मौजूद है .

    यदि कोई इन हदीसों को झूठ कहता है ,तो उसे मुहम्मद को झूठ साबित करना पड़ेगा .क्योंकि यह इस्लाम के भविष्य के बारे में है .सभी जानते हैं कि किसी आदर्श ,या नैतिकता के आधार पर नहीं बल्कि तलवार के जोर पर और आतंक से फैला है .इस्लाम कि बुनियाद खून से भरी है .और कमजोर है .मुहम्मद यह जानता था .कुरान में साफ लिखा है -

    1-इस्लाम की बुनियाद कमजोर है
    "कुछ ऐसे मुसलमान हैं ,जिन्होंने मस्जिदें इस लिए बनायीं है ,कि लोगों को नुकसान पहुंचाएं ,और मस्जिदों को कुफ्र करने वालों के लिए घात लगाने और छुपाने का स्थान बनाएं .यह ऐसे लोग हैं ,जिन्होंने अपनी ईमारत (इस्लाम )की बुनियाद किसी खाई के खोखले कगार पर बनायीं है ,जो जल्द ही गिरने के करीब है .फिर जल्द ही यह लोग जहन्नम की आग में गिर जायेंगे "सूरा -अत तौबा 9 :108 और 109

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  8. 2 -इस्लाम से पहिले विश्व में शांति थी .यद्यपि इस्लाम से पूर्व भी अरब आपस में मारकाट किया करते थे ,लेकिन जब वह मुसलमान बन गए तो और भी हिंसक और उग्र बन गए .जैसे जैसे उनकी संख्या बढ़ती गयी उनका आपसी मनमुटाव और विवाद भी बढ़ाते गए .वे सिर्फ जिहाद में मिलने वाले माल के लिए एकजुट हो जाते थे .फिर किसी न किसी बात पर फिर लड़ने लगते थे ,शिया सुनी विवाद इसका प्रमाण है .
    इसके बारे में मुहमद के दामाद हजरत अली ने अपने एक पत्र में मुआविया को जो लिखा है उसका अरबी के साथ हिंदी और अंगरेजी अनुवाद दिया जा रहा है -

    3 -हजरत अली का मुआविया को पत्र
    हजरत अली का यह पत्र संख्या 64 है उनकी किताब" नहजुल बलाग "में मौजूद है .
    http://www.imamalinet.net/EN/nahj/nahj.htm

    "यह बात बिलकुल सत्य है कि,इस्लाम से पहिले हम सब एक थे .और अरब में सबके साथ मिल कर शांति से रह रहे थे .तुमने (मुआविया )महसूस किया होगा कि ,जैसे ही इस्लाम का उदय हुआ ,लोगों में फूट और मनमुटाव बढ़ाते गए .इसका कारण यह है ,कि एक तरफ हम लोगों को शांति का सन्देश देते रहे ,और दूसरी तरफ तुम मुनाफिक(Hypocryt )ही बने रहे ,और इस्लाम के नाम पर पाखंड और मनमर्जी चलाते रहे.तुमने अपने पत्र में मुझे तल्हा और जुबैर की हत्या का आरोपी कहा है .मुझे उस पर कोई सफ़ाई देने की जरुरत नहीं है .लेकिन तुमने आयशा के साथ मिलकर मुझे मदीना से कूफा और बसरा जाने पर विवश कर दिया ,तुमने जो भी आरोप लगाये हैं ,निराधार है ,और मैं किसी से भी माफ़ी नहीं मांगूंगा "
    मुआविया के पत्र का हजरत अली का मुआविया को जवाब -नहजुल बलाग -पत्र संख्या 64

    ومن كتاب له عليه السلام
    كتبه إلى معاوية، جواباً عن كتاب منه
    أَمَّا بَعْدُ، فَإِنَّا كُنَّا نَحْنُ وَأَنْتُمْ عَلَى مَا ذَكَرْتَ مِنَ الاَُْلْفَةِ وَالْجَمَاعَةِ، فَفَرَّقَ بيْنَنَا وَبَيْنَكُمْ أَمْسِ أَنَّا آمَنَّا وَكَفَرْتُمْ، وَالْيَوْمَ أَنَّا اسْتَقَمْنَا وَفُتِنْتُمْ، وَمَا أَسْلَمَ مُسْلِمُكُمْ إِلاَّ كَرْهاً وَبَعْدَ أَنْ كَانَ أَنْفُ الاِِْسْلاَمِكُلُّهُ لِرَسُولِ اللهِ صلى الله عليه وآله حرباً
    وَذَكَرْتَ أَنِّي قَتَلْتُ طَلْحَةَ وَالزُّبَيْرَ، وَشَرَّدْتُ بِعَائِشَةَ وَنَزَلْتُ بَيْنَ الْمِصْرَيْنِ وَذلِكَ أَمْرٌ غِبْتَ عَنْهُ، فَلاَ عَلَيْكَ، وَلاَ الْعُذْرُ فِيهِ إِلَيْكَ
    [ A reply to Mu'awiya's letter. ]
    It is correct as you say that in pre-Islamic days we were united and at peace with each other. But have you realized that dissensions and disunity between us started with the dawn of Islam. The reason was that we accepted and preached Islam and you remained heathen. The condition now is that we are faithful and staunch followers of Islam and you have revolted against it. Even your original acceptance was not sincere, it was simple hypocrisy. When you saw that all the big people of Arabia had embraced Islam and had gathered under the banner of the Holy Prophet (s) you also walked in (after the Fall of Makkah.)
    In your letter you have falsely accused me of killing Talha and Zubayr, driving Ummul Mu'minin Aisha from her home at Madina and choosing Kufa and Basra as my residence. Even if all that you say against me is correct you have nothing to do with them, you are not harmed by these incidents and I have not to apologize to you for any of them.

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  9. 4 -इस्लाम का विभाजन
    इस्लाम के पूर्व से ही अरब के लोग दूसरों को लूटने और आपसी शत्रुता के कारण लड़ते रहते थे .लेकिन मुसलमान बन जाने पर उनको लड़ने और हत्याएं करने के लिए धार्मिक आधार मिल गया .वह अक्सर अपने विरोधियों को मुशरिक ,मुनाफिक और काफ़िर तक कहने लगे और खुद को सच्चा मुसलमान बताने लगे .और अपने हरेक कुकर्मों को कुरान की किसी भी आयत या किसी भी हदीस का हवाला देकर जायज बताने लगे .धीमे धीमे सत्ता का विवाद धार्मिक रूप धारण करता गया .मुहम्मद की मौत के बाद ही यह विवाद इतना उग्र हो गया की मुसलमानों ने ही मुहम्मद के दामाद अली ,और उनके पुत्र हसन हुसैन को परिवार सहित क़त्ल कर दिया .उसके बाद ही इस्लाम के टुकडे होना शुरू हो गए .जिसके बारे में खुद मुहम्मद ने भविष्यवाणी की थी .-
    "अबू हुरैरा ने कहा कि,रसूल ने कहा था कि यहूदी और ईसाई तो 72 फिरकों में बँट जायेंगे ,लेकिन मेरी उम्मत 73 फिरकों में बँट जाएगी ,और सब आपस में युद्ध करेंगे "अबू दाऊद-जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4579
    "अबू अमीर हौजानी ने कहा कि ,रसूल ने मुआविया बिन अबू सुफ़यान के सामने कहा कि ,अहले किताब (यहूदी ,ईसाई ) के 72 फिरके हो जायेंगे ,और मेरी उम्मत के 73 फिरके हो जायेंगे ..और उन में से 72 फिरके बर्बाद हो जायेंगे और जहन्नम में चले जायेंगे .सिर्फ एक ही फिरका बाकी रहेगा ,जो जन्नत में जायेगा "अबू दाऊद -जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4580 .
    "अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,ईमान के 72 से अधिक टुकडे हो जायेंगे ,और मुसलमानों में ऐसी फूट पड़ जाएगी कि वे एक दुसरे कीहत्याएं करेंगे ."
    अबू दाऊद -जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4744 .
    "अरफजः ने कहा कि मैं ने रसूल से सुना है ,कि इस्लाम में इतना बिगाड़ हो जायेगा कि ,मुसलमान एक दुसरे के दुश्मन बन जायेंगे ,और तलवार लेकर एक दुसरे को क़त्ल करेंगे "अबू दाऊद -जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4153 .
    "सईदुल खुदरी और अनस बिन मालिक ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,पाहिले तो मुसलमान इकट्ठे हो जायेंगे ,लेकिन जल्द ही उनमें फूट पड़ जाएगी .जो इतनी उग्र हो जाएगी कि वे जानवरों से बदतर बन जायेगे .फिर केवल वही कौम सुख से जिन्दा रह सकेगी जो इनको इन को ( नकली मुसलमानों )को क़त्ल कर देगी .फिर अनस ने रसूल से उस कौम की निशानी पूछी जो कामयाब होगी .तो रसुलने बताया कि,उस कौम के लोगों के सर मुंडे हुए होंगे .और वे पूरब से आयेंगे "अबू दाऊद-जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4747 .
    5 -इस्लाम के प्रमुख फिरके
    आमतौर पर लोग मुसलमानों के दो ही फिरकों शिया और सुन्नी के बारे में ही सुनते रहते है ,लेकिन इनमे भी कई फिरके है .इसके आलावा कुछ ऐसे भी फिरके है ,जो इन दौनों से अलग है .इन सभी के विचारों और मान्यताओं में इतना विरोध है की यह एक दूसरे को काफ़िर तक कह देते हैं .और इनकी मस्जिदें जला देते है .और लोगों को क़त्ल कर देते है .शिया लोग तो मुहर्रम के समय सुन्नियों के खलीफाओं ,सहबियों ,और मुहम्मद की पत्नियों आयशा और हफ्शा को खुले आम गलियां देते है .इसे तबर्रा कहा जाता है .इसके बारे में अलग से बताया जायेगा .
    सुन्नियों के फिरके -हनफी ,शाफई,मलिकी ,हम्बली ,सूफी ,वहाबी ,देवबंदी ,बरेलवी ,सलफी,अहले हदीस .आदि -
    शियाओं के फिरके -इशना अशरी ,जाफरी ,जैदी ,इस्माइली ,बोहरा ,दाऊदी ,खोजा ,द्रुज आदि
    अन्य फिरके -अहमदिया ,कादियानी ,खारजी ,कुर्द ,और बहाई अदि
    इन सब में इतना अंतर है की ,यह एक दुसरे की मस्जिदों में नमाज नहीं पढ़ते .और एक दुसरे की हदीसों को मानते है .सबके नमाज पढ़ने का तरीका ,अजान ,सब अलग है .इनमे एकता असंभव है .संख्या कम होने के से यह शांत रहते हैं ,लेकिन इन्हें जब भी मौका मिलाता है यह उत्पात जरुर करते हैं .

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  10. 6 -इस्लाम अपने बिल में घुस जायेगा
    मुहम्मद ने खुद ही इस्लाम की तुलना एक विषैले नाग से की है .इसमे कोई दो राय नहीं है .सब जानते हैं कि यह इस्लामी जहरीला नाग कितने देशों को डस चुका है .और भारत कि तरफ भी अपना फन फैलाकर फुसकार रहा है .लेकिन हम हिन्दू इतने मुर्ख हैं कि सेकुलरिज्म ,के नामपर ,और झूठे भाईचारे के बहाने इस इस्लामी नाग को दूध पिला रहे हैं .और तुष्टिकरण की नीतियों को अपना कर आराम से सो रहे है .आज इस बात की जरुरत है की ,हम सब मिल कर मुहम्मद की इस भविष्यवाणी को सच्चा साबित करदें ,जो उसने इन हदीसों में की थीं .-
    "अबू हुरैरा ने कहा की ,रसूल ने कहा कि,निश्चय ही एक दिन इस्लाम सारे विश्व से निकल कर कर मदीना में में सिमट जायेगा .जैसे एक सांप घूमफिर कर वापिस अपने बिल में घुस जाता है 'बुखारी -जिल्द 3 किताब 30 हदीस 100 .
    "अब्दुल्ला बिन अम्र बिन यासर ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,जल्द ही एक ऐसा समत आयेगा कि जब लोग कुरान तो पढेंगे ,लेकिन कुरान उनके गले से आगे कंधे से निचे नहीं उतरेगी.और इस्लाम का कहीं कोई निशान नहीं दिखाई देगा "
    बुखारी -जिल्द 9 किताब 84 हदीस 65
    "अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल ने कहा है कि ,इस्लाम सिर्फ दो मस्जिदों (मक्का और मदीना )के बीच इस तरह से रेंगता रहेगा जैसे कोई सांप इधर उधर दो बिलों के बीच में रेंगता है "
    सही मुस्लिम -किताब 1 हदीस 270 .
    "इब्ने उमर ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ऐसा निकट भविष्य में होना निश्चय है ,कि इस्लाम और ईमान दुनिया से निकलकर वापस मदीने में इस तरह से घुस जायेगा ,जैसे कोई विषैला सांप मुड़कर अपने ही बिल में घुस जाता है "
    सही मुस्लिम -किताब 1 हदीस 271 और 272 .
    अब हम देखते हैं कि मुसलमान इन हदीसों को झूठ कैसे साबित करते है . आज लीबिया ,यमन और दूसरे इस्लामी देशों में जो कुछ हो रहा है ,उसे देखते हुए यही प्रतीत होता है कि मुहम्मद साहिब की यह हदीसें एक दिन सच हो जायेगीं ,जिनमे इस्लाम के पतन और विखंडन की भविष्यवाणी की गयी है .!

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  11. To know more truth about Islam must open these link -:
    http://www.faithfreedom.org/oped/AbulKasen50920.htm

    http://bhaandafodu.blogspot.in/

    इस्लाम और हिस्टरी के लिए
    https://www.facebook.com/groups/CHALLENGE2DR.ZAKIR.NAIK/doc/300249926680588/

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  12. Bhai aapne islam me burai dhoondne ke liye itni mehnat ki chalo is bahane se sahi.kal marne k baad tum allah se yeh to nhi kahoge k mujhe islam k baare me kisi musalman ne bataya he nhi ,to mai kaise islam accept krta ,ab khuda musalmano ki pakad to nhi krega tumhare liye.allah tera ehsan.

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