कभी ना अंतर मिट पायेगा पूजा और अजान में,
कभी ना अंतर मिट पायेगा पूजा और अजान में,
काफिरों के सर काट दो लिक्खा यही कुरआन में
पूजा में हम यही मांगते, सब मंगल हों , अच्छा हो
गैर मुस्लिमो तुम काफिर हो,मुल्ला कहे ये शान में ,
कभी ना अंतर मिट पायेगा पूजा और अजान में,
काफिरों के सर काट दो लिक्खा यही कुरआन में
पूजा में हम यही मांगते, सब मंगल हों , अच्छा हो
गैर मुस्लिमो तुम काफिर हो,मुल्ला कहे ये शान में ,
कभी ना अंतर मिट पायेगा पूजा और अजान में,
जो आया उसको अपनाया ,सार धर्म ने यही बताया,
काफ़िर की जो गर्दन काटे ,उनका वो गाजी कहलाया।
हमने कभी ना अंतर बरता ,मस्जिद और शिवालों में ,
उनकी नंगी शमशीरों ने मासूमों का रक्त बहाया।
चीर हरण बहनो के, कर डाले ,पूरे हिन्दुस्तान में,
कभी ना अंतर मिट पायेगा पूजा और अजान में।
काफ़िर की जो गर्दन काटे ,उनका वो गाजी कहलाया।
हमने कभी ना अंतर बरता ,मस्जिद और शिवालों में ,
उनकी नंगी शमशीरों ने मासूमों का रक्त बहाया।
चीर हरण बहनो के, कर डाले ,पूरे हिन्दुस्तान में,
कभी ना अंतर मिट पायेगा पूजा और अजान में।
वेदों के हम रहे पुजारी ,गीता का भी ज्ञान सुनाया,
पर अहिंसा के गीतों ने हमको कैसा हीज़ बनाया।
वीरों की इस राष्ट्र भूमि ने कभी ना हिंसा पाली थी पर ,
धर्म ध्वजा की मर्यादा में,हर दुश्मन को मार भगाया।
भारत माँ की आन लुट गयी ,असि गई जब म्यान में
कभी ना अंतर मिट पायेगा पूजा और अजान में,
पर अहिंसा के गीतों ने हमको कैसा हीज़ बनाया।
वीरों की इस राष्ट्र भूमि ने कभी ना हिंसा पाली थी पर ,
धर्म ध्वजा की मर्यादा में,हर दुश्मन को मार भगाया।
भारत माँ की आन लुट गयी ,असि गई जब म्यान में
कभी ना अंतर मिट पायेगा पूजा और अजान में,
बम धमाके करते रहते ,मुजाहिद कहलाते है ,
वोटों की खातिर आँखों के,ये तारे बन जाते है।
दूध पिलाने हम साँपों को,पीरों पर ही जायेंगे ,
पी पी कर ये खून हमारा तालिबान बन जाते हैं।
सारा भारत देखना चाहते ये तो पाकिस्तान में.,
कभी ना अंतर मिट पायेगा पूजा और आजान में।
वोटों की खातिर आँखों के,ये तारे बन जाते है।
दूध पिलाने हम साँपों को,पीरों पर ही जायेंगे ,
पी पी कर ये खून हमारा तालिबान बन जाते हैं।
सारा भारत देखना चाहते ये तो पाकिस्तान में.,
कभी ना अंतर मिट पायेगा पूजा और आजान में।
भारत माँ को डायन कहते,जो ना कभी लजाते हैं,
छुप छुप कर हैं हमला करते,कायरता सदा दिखाते हैं।
बार- बार ये धमकी- देकर,राजभवन -को ठगते है ,
ध्वज तिरंगा अग्नि में दे, हरा रंग फहराते है।
मारो काफ़िर काटो काफ़िर रहता हरदम ध्यान में,
कभी ना अंतर मिट पायेगा पूजा और अज़ान में।
छुप छुप कर हैं हमला करते,कायरता सदा दिखाते हैं।
बार- बार ये धमकी- देकर,राजभवन -को ठगते है ,
ध्वज तिरंगा अग्नि में दे, हरा रंग फहराते है।
मारो काफ़िर काटो काफ़िर रहता हरदम ध्यान में,
कभी ना अंतर मिट पायेगा पूजा और अज़ान में।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंIshwar aur allah ke too niyam hi ek nhi hai
जवाब देंहटाएंtoo ishwar aur allah ek kaha se ho gye
ye hi baat hume apni yuva pidi ko samjhani hai
naveen ji
Islam ke anusaar yadi allah ke paas koi shareer nhi hai
जवाब देंहटाएंtoo kis aadhar par ye mulle
allah ko pueush kahkar pukarte hai
ki allah khush ho jayega
allah naraj ho jayega
sale bevkuf mulle