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एक और संग्राम

बड़े बड़े इतिहासकार,लेखक,बुद्धिजीवी, व हिन्दुओं के धर्म गुरु जब भी हिंदू व मुसलमानों के द्वेषभाव के कारण बताते है तो वे सब एक ही बात कहते हैं कि, अंग्रेजों ने भारत में राज्य स्थापित करने के लिए हिंदू व मुसलमानों को आपस में लड़ाया। उन सभी भद्रजनों की ये बातें मेरे ह्रदय को बहुत ज्यादा ठेस पहुंचाती है,मानो कि अंग्रेजों के भारत आने से पहले हिंदू व मुसलमान बहुत प्रेम के साथ रह रहे थे। इस बात से सबसे बड़ा आघात तो तब होता है जब सोचता हूँ की मुस्लिम सल्तनत में हिंदू हमेशा दोयम दर्जे का नागरिक रहा,तथा उसे अपना धर्म बचाए रखने के लिए धार्मिक कर जजिया देना पड़ता था । वे सभी भद्रजन अपनी बात कहकर लगभग १२०० वर्षों के उस इतिहास को समाप्त ही कर देते है जिसमे हिंदू समाज ने अपने अस्तित्व को बचाने के लिए निरंतर मुसलमानों से धर्म युद्ध जारी रक्खा तथा लाखों की संख्या में अपना बलिदान किया। सोमनाथ के मन्दिर को बचाने व अयोध्या के मन्दिर को वापस लेने के लिए ही लगभग ५ लाख हिन्दुओं ने बलिदान दिया। मोहम्मद बिन कासिम के पहले सफल आक्रमण से लेकर टीपू सुलतान तक सैकडो नरपिशाचों ने लगभग १० करोड़ हिन्दुओं को तलवार की धार प

स्वामी विवेकानंद का शिकागो की धर्म सभा में दिया गया भाषण

मित्रों मै बहुत समय से किसी कारण वश लेखन से दूर रहा। आज लगभग २ महीने के पश्चात कुछ लिखने बैठा तो मेरे सामने स्वामी विवेकानंद का शिकागो की धर्म सभा मे ११ सितम्बर १८९३ को दिया गया भाषण आ गया, तो सोचा कि इसके कुछ मुख्य अंश को आप सबके साथ क्यों न बाटा जाय....................... प्रस्तुत है ........... अमेरिकी निवासी बहनों और भाइयों जिस अपनत्व और प्यार के साथ आपने हम लोगो का स्वागत किया है, उसके फलस्वरूप मेरा ह्रदय अकथनीय हर्ष से प्रफुल्लित हो रहा है। संसार के प्राचीन ऋषिओं के नाम पर मै आपको धन्यवाद देता हूँ । तथा सब धर्मों की मतास्वरूप हिंदू धर्म के करोड़ों हिन्दुओं की ओर से भी धन्यवाद प्रकट करता हूँ। मै उन सज्जनों के प्रति भी धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ,जिन्होंने इस सभामंच से पूर्व से आए प्रतिनिधियों के बारे मे ये बतलाया है कि, ये दूर देश वाले पुरूष भी सर्वत्र सहिष्णुता का भाव प्रसारित करने के निमित्त यश व गौरव के अधिकारी हो सकते है। मुझको ऐसे धर्मावलम्बी होने का गौरव है,जिसने संसार को सहिष्णुता तथा सब धर्मो को मान्यता प्रदान करने की शिक्षा दी। हम लोग सब धर्मों के प्रति सहिष्णुता ही नही रख