एक और संग्राम

बड़े बड़े इतिहासकार,लेखक,बुद्धिजीवी, व हिन्दुओं के धर्म गुरु जब भी हिंदू व मुसलमानों के द्वेषभाव के कारण बताते है तो वे सब एक ही बात कहते हैं कि, अंग्रेजों ने भारत में राज्य स्थापित करने के लिए हिंदू व मुसलमानों को आपस में लड़ाया। उन सभी भद्रजनों की ये बातें मेरे ह्रदय को बहुत ज्यादा ठेस पहुंचाती है,मानो कि अंग्रेजों के भारत आने से पहले हिंदू व मुसलमान बहुत प्रेम के साथ रह रहे थे। इस बात से सबसे बड़ा आघात तो तब होता है जब सोचता हूँ की मुस्लिम सल्तनत में हिंदू हमेशा दोयम दर्जे का नागरिक रहा,तथा उसे अपना धर्म बचाए रखने के लिए धार्मिक कर जजिया देना पड़ता था । वे सभी भद्रजन अपनी बात कहकर लगभग १२०० वर्षों के उस इतिहास को समाप्त ही कर देते है जिसमे हिंदू समाज ने अपने अस्तित्व को बचाने के लिए निरंतर मुसलमानों से धर्म युद्ध जारी रक्खा तथा लाखों की संख्या में अपना बलिदान किया। सोमनाथ के मन्दिर को बचाने व अयोध्या के मन्दिर को वापस लेने के लिए ही लगभग ५ लाख हिन्दुओं ने बलिदान दिया। मोहम्मद बिन कासिम के पहले सफल आक्रमण से लेकर टीपू सुलतान तक सैकडो नरपिशाचों ने लगभग १० करोड़ हिन्दुओं को तलवार की धार पर मुसलमान बनाया।करोड़ों हिंदू महिलाओं के बलात्कार हुए, लाखों मन्दिर तोडे गए। कासिम,महमूद गजनवी, सलार गाजी, गोरी,कुतुबुद्दीन,बलबन,खिलजी वंश ,तुगलक वंश, लोदी वंश, शेरशाह सूरी, मुग़ल वंश , अब्ब्दाली,नादिरशाह व टीपू सुलतान जैसे नर पिशाचों ने लगातार हिंदू समाज को प्रताडित किया। परन्तु तथागत भारतीय बुद्धिजीवी हिंदू समाज के १२०० वर्षों के प्रतारण को व उन वीर हिंदू सेनापतियों के उस साहस को जो कि राजा दाहिर,बाप्पा रावल, गुर्जर नरेश नाग भट्ट, जयपाल,अनंगपाल,विद्द्याधर चंदेल,प्रथ्विराज चोहन,नसरुद्दीन, हेमू,महाराणा सांगा, सुहेलदेव पासी,महाराणा प्रताप,अमर सिंह राठोड,दुर्गादास,राणा रतन सिंह ,गुरु तेग बहादुर,गुरु गोविन्द सिंह,वीरबन्दाबैरागी,महाराज शिवाजी,वीर छत्रसाल, महाराजा रणजीत,हरी सिंह नलवा जैसे सैकडो वीरो ने दिखाया तथा अपने पूरे जीवन में स्वतंत्रता की ज्वाला को दहकाए रक्खा।

हिंदू व मुस्लमान दो अलग अलग सभ्यताएं है। ये दो विपरीत ध्रुव है,जो कभी न तो एक थे और न ही एक हो सकते हैं।जिस दिन भारत की धरती पर पहले मुसलमान ने कदम रक्खा था, ये ध्राम्यु द्धउसी दिन शुरू हो गया था। इस धर्म युद्ध में पहली जीत मुसलमानों की १९४७ में हो चुकी है,जब उन्होंने भारत का बटवारा कराकर पाकिस्तान बना दिया।१९४७ के बाद भी हिंदू समाज इस धर्मयुद्ध को लगातार हार रहा है। कश्मीर भारत के हाथ से लगभग निकल चुका है,आसाम की स्थिति दयनीय हो चुकी है,पश्चिमी उ.प्र.,केरल,भिहर,पुर्वी बंगाल अगले निशाने पर है। इन छेत्र में रहने वाले मुस्लमान इस्लामिक आतंकवाद के पूर्ण रूप से समर्थक है।ऐसे में हिंदू-मुस्लिम एकता की बातें करना राष्ट्रद्रोह नही तो और क्या है।

सामान नागरिक कानून,जनसँख्या कानून,राम मन्दिर,३७० धारा को चुनाव में मुद्दे बनने वाली बी जे पी भी चुनाव समाप्त होने के बाद विपक्क्ष में गाँधी का बन्दर बन जाती है।

मुस्लमान कुरान की shikxa के अनुसार ही bharat को तोड़ने की साजिश में लगा हुआ है। कुरान में साफ लिखा है की दारूल हरब यानि शत्रु के देश को दारूल इस्लाम यानि मुस्लिम राज्य में बदलना हर मुसलमान का परम कर्तव्य है। कुरान के अनुसार राष्ट्रवाद की बातें करना भी पाप है। मुस्लिम आतंकी मुसलमानों के लिए शहीद होते है। मुसलमानों के धार्मिक गुरु,मस्जिदa मदरसे आतंकवाद को बढावा देते है। कोई भी राजनैतिक दल इनका विरोध नही करता। मुस्लिम आतंकी के जनाजे में हजारों मुसलमानों का एकत्र होना तथा उन्ही जनाजो में राजनेताओं का पहुच कर शामिल होना राष्ट्रद्रोह की पराकाष्ठा है। गुजरात में तो कुछ वर्ष पहले एक ऐसे ही जनाजे में एक कांग्रेसी नेता शामिल भी हुए और आतंकी के परिवार को ५ लाख रूपये देने की घोषणा भी कर डाली। अभी हाल ही में मारे गए एक आतंकी के मारे जाने पर जामा मस्जिद का इमाम बुखारी आजमगद उसके घर गया और उसे कोम का शहीद बताया। किसी भी राजनेता ने इस बात पर आपति नही जताई।
मुसलमानों की बदती जनसँख्या को बंगलादेशी घुसपैठ ने १९४७ के हिंदू-मुस्लिम अनुपात को १:१२ से १:६ कर दिया है। हिंदू समाज में कब जाग्रति आएगी?अपने राष्ट्र के और कितने टुकड़े देखना चाहता हैसोया हुआ हिंदू समाज । मेरी ये बातें कड़वी जरूर है पर सोचो, जहाँ पिछले १२०० वर्षों में १९४७ तक १३ करोड़ मुसाल्मान बड़े यानि १०० वर्षों में लगभग १ करोड़ की बढोतरी। वही भारत के बटवारे के बाद केवल ६० वर्षों में मुसलमानों की जनसँख्या ३ करोड़ से २० करोड़ हो गई है। अर्थार्त ४.५ वर्ष में १ करोड़। आगे ये जनसँख्या और भी तेजी से बढने वाली है। १९४७ में ३३% होने पर पकिस्तान बना। तो क्या दोबारा से भारत बटवारे की और नही चल रहा है?नही, क्यो की मुस्लिम विद्वान् व नेता अब भारत का बटवारा नही चाहते। उनका ध्येय तो अब पूरा भारत हड़पने का बन चुका है। आने वाले २० वर्षों में मुस्लिम आबादी लगभग ४०%हो जायेगी। और भारत में शुरू होगा दोबारा मुस्लिम शासन। भारत में लागू होगी शरीय कानून व्यवस्था यानि धर्म युद्ध में हिंदू समाज की दूसरी बड़ी पराजय ।
दुनिया के उन सभी देशों में जहाँ मुसलमानों की आबादी ४०% से उअपर है वहाँ हर जगहं गृहयुद्ध चल रहा है।सीरिया, लीबिया व सूडान में तो मुस्लमान इसाई लोगो को दास बनाकर आज भी बेचते है।
अत:हे हिंदू जागो,मुसलमानों के बच्चाकरण, घुसपैठ, आतंकी फैक्ट्री मदरसों का खुलकर विरोध करो। इस समय का बलिदान ही आपकी आने वाली पीढियों को प्रसन्न व संपन्न बनाये रख सकता है और आपका दब्बूपन भविष्य की पीढियों को अंधकारमय जीवन ही दे सकता है।
चलो इस देश का नवजागरण
तुमको बुलाता है।
समर का है तुम्हे आमंत्रण
वह तुमको बुलाता है।
चलो आलोक लेकर के
अँधेरा काट दे इसका
है तुमपे देश का जो ऋण
वह तुमको बुलाता है।
तुम्हारे हर कदम की ताल से
जय गान ये होगा
पुन:सिरमोर दुनिया का
अरे हिंदुस्तान ये होगा।
भविष्य के वतन की
पीढियों को दान ये होगा।
तुम्हारा राष्ट्र को अर्पित
किया सम्मान ये होगा।

टिप्पणियाँ

  1. आपका इतिहास का ज्ञान अनुसरणीय एवं अनुकरणीय है| मैं आपकी लगभग सभी बातों से सहमत हूँ किन्तु खेद के साथ कहता हूँ की हिन्दू समाज की आंखें खोलने के लिए फिर किसी युगपुरुष को समाज में व्याप्त विष का अकेले ही विषपान करना होगा| फिर से महामात्य चाणक्य, महिर्षि दयानंद, स्वामी श्रद्धानंद को शिव बनाना पड़ेगा | परमपिता मुझमें अपने तुक्ष प्राणों का उत्सर्ग करने का साहस दे ताकि मैं अपनी महान संस्कृति व महान पूर्वजों की मातृभूमि के कुछ काम आ सकूँ | अन्यथा मेरा जीवन भी निरर्थक ही जायेगा ||

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  2. आपने कहा "मुस्लमान कुरान की shikxa के अनुसार ही bharat को तोड़ने की साजिश में लगा हुआ है। कुरान में साफ लिखा है की दारूल हरब यानि शत्रु के देश को दारूल इस्लाम यानि मुस्लिम राज्य में बदलना हर मुसलमान का परम कर्तव्य है। "
    नवीन त्यागी जी यह एक ग़लत धरना है. इस्लाम को पहिलाने पे ज़ोर कुरआन अवश्य देता है, लेकिन किरदार, मुहब्बत और शांति के साथ, जब्र या ज़बरदस्ती से नहीं. इसमें भारत तूदने जैसी बात का वजूद ही नहीं है. भारत इंसानों का देश है, किसी धर्म का नाम भारत नहीं.

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