मै राष्ट्र -यज्य के लिए तुम्हारा शीश मांगने आया.

अपना शौर्य तेज भुला यह देश हुआ क्षत-क्षत है।
यह धरा आज अपने ही मानस -पुत्रों से आहत है।
अब मात्र उबलता लहू समय का मूल्य चुका सकता है।
तब एक अकेला भारत जग का शीश झुका सकता है।
एक किरण ही खाती सारे अंधकार के दल को।
एक सिंह कर देता निर्बल पशुओं के सब बल को।
एक शून्य जुड़कर संख्या को लाख बना देता है।
अंगार एक ही सारे वन को राख बना देता है।
मै आया हूँ गीत सुनाने नही राष्ट्र-पीड़ा के।
मै केवल वह आग लहू में आज नापने आया
मै राष्ट्र-यज्य के लिए तुम्हारा शीश मांगने आया ।।१

नही महकती गंध केशरी कश्मीरी उपवन में।
बारूदों की गंध फैलती जाती है आँगन में।
मलयाचल की वायु में है गंध विषैली तिरती।
सम्पूर्ण राष्ट्र के परिवेश पर लेख विषैले लिखती।
स्वेत बर्फ की चादर गिरी के तन पर आग बनी है।
आज धरा की हरियाली की पीड़ा हुई घनी है।
पर सत्ता के मद में अंधे धरती के घावों से।
अंजान बने फिरते है बढ़ते ज्वाला के लावों से।
शक्ति के नव बीज खोंजता इसीलिए ही अब मैं।
मै महाकाल का मन्त्र फूंकता तुम्हे साधने आया
मै राष्ट्र यज्य के लिए ....................................२


उठ रहा आज जो भीषण -रव यह एक जेहादी स्वर है।
एक दिशा से नही घेरता चारो और समर है।
इस जिहाद की नही कोई भी अन्तिम कही कड़ी है ।
सहस्त्र वर्ष से अधिक राष्ट्र पर इसकी नजर गढ़ी है।
निरपेक्ष मौन है किंतु सत्ता इसको खेल समझती।
अंतहीन इस रण को बस उन्माद समझ कर हंसती।
उदारवाद के बहकावों के शब्द जाल में फंसकर।
नही देखती इतिहासों के काले प्रष्ठ पलटकर।
इतिहासों की उसी कालिमा से आवृत प्रष्ठों में ।
उज्जवल इतिवृत के पन्नों को मै आज बाँचने आया
मै राष्ट्र यज्य के लिए .........................................३


itivrat के प्रष्ठ सुनहरे जो सत्ता ने फाड़ दिए हैं।
आतंकवाद के पैरों में ही गहरे गाड़ दिए हैं।
अपने जीवन-मूल्य बेच सत्ता का मोल किया है।
सत्ता के पलडे में सारा भारत तोल दिया है।
ओट अहिंसा की ले कायरता का वरण किया है।
भूतकाल के भारत के वैभव का हरण किया है।
मत पूछो क्या-क्या पाप किए है सत्ता को वरने को।
आतंकवाद सोपान बनाली सत्ता पर चढ़ने को।
इस अंतहीन आतंकवाद से आरपार करने को ।
किस -किस की नस में उबल रहा वह लहू जाँचने आया।
मै राष्ट्र-यज्य के लिए .................................................४


saikularivaad से राष्ट्रवाद का है उपहास उड़ाकर।
अल्पसंख्यकता को राष्ट्रवाद का नव परियाय बनाकर।
सैकुलरती को अल्पसंख्यकता का नूतन अर्थ दिया है।
राष्ट्रद्रोह और राष्ट्रवाद सम-अर्थी मान लिया है।
राष्ट्र -अस्मिता भी इनकी इन सोंचो से हारी है।
आतंकवाद की तुष्टि तो अब संसद पर भारी है।
नही राष्ट्र के भक्त इन्हे आतंकवाद प्यारा है।
करनी से इनके आतंक नही हर बार देश हारा है।
आतंकवाद का तिनका-तिनका जड़ -सहित नष्ट करने को।
मै राष्ट्र- प्रेम का तक्र तुम्हारे बीच बाँटने आया॥

मै राष्ट्र-यज्य के लिए ............................................५


आलोक राष्ट्र का पश्चिम की बदली में अटक गया है।
अन्धकार की राह पकड़कर सूरज भटक गया है।
सहना कोई अन्याय यह कायरता का सूचक है।
यह किसी राष्ट्र की जनशक्ति की जड़ता का सूचक है।
मात्र अहिंसा तो ऋषियों का आभूषण होती है।
par राज मार्ग पर कायरता का आकर्षण होती है।
हिंसा के प्रतिशोधों को तो युद्ध किए जाते है।
प्रस्ताव अमन के वीरों द्वारा नही दिए जाते है।
इस कायरता के संस्कार है रोपे जिसने मन में।
वह भावः अहिंसा के मन से मै आज काटने आया।
मै राष्ट्र यज्य के लिए ........................................६


युद्धों से भयभीत देश जो युद्धों से बचता है।
युद्ध स्वं उसके द्वारों पर दस्तक जा देता है।
इसलिए शत्रु की चालों में न अपने को फसने दो।
वीरों की छाती पर अब तो बस शास्त्रों को सजने दो।
यदि समय पर चूके सब कुछ राष्ट्र यह खो देगा।
फ़िर सिंहासन की एक भूल का दंड देश भोगेगा।
राष्ट्र खड़ा है पीछे तेरे रणभेरी बजने दो।
अब जनशक्ति को अश्वमेध की तैयारी करने दो।
इस महायज्य की पूत-अनल में समिधा बन जाने को।
मै धर्म-जाति के हर गह्वर को आज पाटने आया॥
मै राष्ट्र-यज्य के लिए ............................................७

टिप्पणियाँ

  1. नवीन जी आपकी वीर रस की इस कविता को पढ़कर मन रोमांचित हो गया है.

    जवाब देंहटाएं
  2. ओये बाल बच्‍चोंदार नये पहलवान तुझे कुरआन शब्‍द तक ठीक से लिखना xकुरानx नहीं आता और चला है म्‍हारे यार सलीम खान को परेशान करने, देख के आ म्‍हारे ग्रंथ का नाम कैसे लिखा जाता है www.quranhindi.com फिर करियो बात,
    तेरी मेरी हिन्‍दी को जाने है कैरानवी, हिन्‍दू को कौन ना जाने अपना सलीम खान कहता है 'मैं हूं हिन्‍दू'

    आज हल्‍की से हिन्‍दी की बात करें उर्दू के बहनिया हिन्‍दी के इस विजेट में लिख के देख क़ुरआन या कैरानवी कांप जायेगा यह दोनों का लिखने से असमर्थ है यह, उर्दू युनिकोड 5 साल पहले इन झंझटों से आज़ाद होचुका, उर्दू कि बहनियां हिन्‍दी वेब की Rank-4 होती है, उर्दू की Rank-5 तक होती है ऐसी टीम urdustan.com का सदस्‍य है कैरानवी, दोनों भाषाओं के मजे लेता है कैरानवी और यकीन करो तो 5 भाषाओं में विचर लेता है कैरानवी,
    भारतीये भाषायें पता हैं कितनी हैं, जेब से नोट निकालो उस पर देखो भारत की 15 भाषायें हैं,

    रौंद डालता है इस्‍लाम दुश्‍मान ब्लाग को कैरानवी, विचार करलो

    signature:
    विचार करें कि मुहम्मद सल्ल. कल्कि व अंतिम अवतार और बैद्ध मैत्रे, अंतिम ऋषि (इसाई) यहूदीयों के भी आखरी संदेष्‍टा? हैं या यह big Game against Islam है?
    antimawtar.blogspot.com (Rank-1 Blog)

    छ अल्लाह के चैलेंज सहित अनेक इस्‍लामिक पुस्‍तकें
    islaminhindi.blogspot.com (Rank-2 Blog)
    डायरेक्‍ट लिंक

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  3. उमर कैरानवी जी अपनी ओकात दिखा ही दी.
    तुम लोगो को sachchai पचती नहीं है.
    और एक बात और ध्यान में रखना आगे से
    अपने और मेरे बीच मे बाल बच्चो का जिक्र nahi aana chahiye.

    जवाब देंहटाएं
  4. अरे त्यागी जी कैरान्वी तो पागल लगता है.

    जवाब देंहटाएं
  5. कुछ लोग घर से सोचकर निकलते हैं की आज किसी से झगड़ना है..आप क्या कर सकते हैं..
    रचना बहुत उत्कृष्ट है..आज के भारतीय युवा को इसकी ज़रुरत है..

    जवाब देंहटाएं
  6. इतनी प्रभावशाली रचना पर कोई टिपण्णी नहीं करना चाहती,बस नतमस्तक हूँ.....

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  7. नविन जी आपने बहुत ही सुंदर और शानदार कविता लिखा है जो काबिले तारीफ है! इस बेहतरीन कविता के लिए बधाई!

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  8. ऊर्मी जी ये कविता मेरी नहीं मेरे पिता जी की है .

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  9. परमपिता मुझमें अपने तुक्ष प्राणों का उत्सर्ग करने का साहस दे ताकि मैं अपनी महान संस्कृति व महान पूर्वजों की मातृभूमि के कुछ काम आ सकूँ | अन्यथा मेरा जीवन भी निरर्थक ही जायेगा ||

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