घर में उनके कुत्तों पर भी ,फोंजों के हैं पहरे रहते


सोने के महलों में कुछ तो,ख़ास-ख़ास हैं बहरे रहते।
कुछ की तो गर्दन के ऊपर ,दो-दो हरदम चेहरे रहते॥

कहने को मासूम बड़े ही,दिखलाई सबको देते वे ।
दिल में उनके अन्दर भैया,राज बड़े ही गहरे रहते॥

कसमे खाते रहते जिस पल,दहशतगर्दी से लड़ने की।
दहशतगर्दों के ही उनके,उस पल घर में डेरे रहते॥

हत्याओं का दौर देखने ,सज धज कर जब वे जाते।
कातिल के हमदर्द सयापे, आँखों को हैं घेरे रहते॥

हर मुश्किल से टकराने का, बंधा रहे हैं साहस जो जो।
घर में उनके कुत्तों पर भी , फोंजो के हैं पहरे रहते॥

धरती तपने लगती जब यूं ,लेकर अपने साथ बगुले।
सब कुछ स्वाहा करने को फिर,नहीं जलजले ठहरे रहते॥

टिप्पणियाँ

  1. कहने को मासूम बड़े ही,दिखलाई सबको देते वे ।
    दिल में उनके अन्दर भैया,राज बड़े ही गहरे रहते॥

    हर मुश्किल से टकराने का, बंधा रहे हैं साहस जो जो।
    घर में उनके कुत्तों पर भी , फोंजो के हैं पहरे रहते॥

    bahut khoob tyagi ji

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  2. कहने को मासूम बड़े ही,दिखलाई सबको देते वे ।
    दिल में उनके अन्दर भैया,राज बड़े ही गहरे रहते॥

    बहुत सुंदर त्यागी जी

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  3. maine kabhi esaa nahi socha tha ki bharat ki rajniti is had tak gir jayegi.

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  4. गर्दन के ऊपर ,दो-दो हरदम चेहरे रहते

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  5. कसमे खाते रहते जिस पल,दहशतगर्दी से लड़ने की।
    दहशतगर्दों के ही उनके,उस पल घर में डेरे रहते॥
    aap ki kalam to aag ugalti hai.

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  6. tyagi gi aapka rasta yahi hai,aap samaj me obaal la sakte ho.

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  7. हत्याओं का दौर देखने ,सज धज कर जब वे जाते।
    कातिल के हमदर्द सयापे, आँखों को हैं घेरे रहते॥
    हर मुश्किल से टकराने का, बंधा रहे हैं साहस जो जो।
    घर में उनके कुत्तों पर भी , फोंजो के हैं पहरे रहते॥
    bahut khoob.

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  8. कसमे खाते रहते जिस पल,दहशतगर्दी से लड़ने की।
    दहशतगर्दों के ही उनके,उस पल घर में डेरे रहते॥

    bhaiya bhutt hi achcha.

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  9. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  10. अति सुन्दर
    कृपया लिखते रहें |

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